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Kota थर्मल पावर प्लांट और रावतभाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र की सभी इकाइयां बंद

 
Kota थर्मल पावर प्लांट और रावतभाटा परमाणु ऊर्जा संयंत्र की सभी इकाइयां बंद 
कोटा न्यूज़ डेस्क, कोटा  लोड डिस्पेच सेंटर से इकाइयों को चालू रखने की समय पर सूचना नहीं मिलने से शुक्रवार अलसुबह कोटा सुपर थर्मल पावर प्लांट की पांच और रावतभाटा परमाणु बिजली संयंत्र की चार इकाइयां ठप हो गई। इससे सम्पूर्ण कोटा शहर व जिले के कई क्षेत्रों के अलावा बूंदी, बारां जिले के अधिकतर इलाकों में बिजली बंद हो गई। हालात यह हो गए कि दोनों बिजलीघरों को फिर से चलाने के लिए भी बिजली नहीं थी। अचानक हुए इस घटनाक्रम के बाद विद्युत उत्पादन निगम, विद्युत प्रसारण निगम, जयपुर डिस्कॉम के अधिकारियों में हडकंप मच गया। सभी लोग जहां से भी व्यवस्था हो सकती थी, सप्लाई चालू करने के प्रयासों में जुट गए। ठप हुए प्लांटों के लिए अलग-अलग जगहों से बिजली की व्यवस्था कर इनकी इकाइयों को बिजली उत्पादन के लिए चालू किया गया। उसके बाद दूसरे ग्रिड सब स्टेशनों से जुडे जीएसएसों से वैकल्पिक व्यवस्था कर धीरे-धीरे प्रभावित क्षेत्रों में बिजली व्यवस्था की गई। सभी जगहों पर विद्युत आपूर्ति पूरी तरह सुचारू होने में करीब 7 घंटे का समय लगा। कई जगह तो सुबह 5 बजे बंद हुई विद्युत आपूर्ति को बहाल होने में दोपहर 2 बजे से भी अधिक समय लग गया।

इसलिए आई आफत

कोटा थर्मल की सभी 7 इकाइयां बिजली उत्पादन कर कोटा थर्मल परिसर स्थित राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम के 132 केवी जीएसएस को बिजली देती हैं। रावतभाटा स्थित आरएपीपी भी इसी ग्रिड से जुड़ा हुआ है। शुक्रवार अलसुबह तक कोटा थर्मल की 5 इकाइयां पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन कर रही थी। कोटा थर्मल की 110 मेगावाट की एक तथा 210 मेगावाट की एक इकाई पहले से ही मरम्मत के चलते बंद थी। इसी तरह रावतभाटा आरएपीपी में भी बिजली उत्पादन हो रहा था। कोटा थर्मल के चीफ इंजीनियर एके आर्य ने बताया कि इन दोनों प्लांटों द्वारा ग्रिड पर भेजी जा रही उत्पादित बिजली की तुलना में ग्रिड से हो रही बिजली खपत कम हो गई। ग्रिड पर खपत की तुलना में सप्लाई अधिक होने से व्यवधान आया और दोनों प्लांटों की बिजली उत्पादन कर रही इकाइयां ट्रिप हो गई।

1600 मेगावाट हो रहा था उत्पादन

रावतभाटा संयंत्र की क्षमता 1280 व कोटा थर्मल पावर प्लांट की क्षमता 1245 मेगावाट है, जबकि दोनों जगहों पर करीब 800-800 मेगावाट विद्युत उत्पादन हो रहा था। ऐसे में दोनों मिलकर 1600 मेगावाट बिजली उत्पादन कर रहे थे। यह सप्लाई भी लोकल एरिया के आसपास के जिलों में की जा रही थी। रावतभाटा संयंत्र में भी 6 में से 4 यूनिट संचालित की जा रही थी। वहीं कोटा थर्मल में 7 में से 5 यूनिट्स से विद्युत उत्पादन किया जा रहा था।

कहीं सुबह कहीं शाम तक नहीं आए नल

शहर में शुक्रवार को बिजली बंद होने का असर जलापूर्ति पर पड़ा। कहीं सुबह की पारी में जलापूर्ति बाधित रही, कहीं शाम तक लोगों को पानी नहीं मिला। अकेलगढ़ मुख्य जल शोधन केन्द्र से जुडे उपभोक्ताओं के सुबह की पारी में देर तक नल नहीं आए तो लोगों के कार्य अटक गई। लोग एक दूसरे से नल नहीं आने के कारण पूछते रहे। कई लोगों ने जलदाय विभाग से जानकारी ली। क्षेत्र में जलापूर्ति सुबह 10 बजे के करीब शुरू हुई। पुराने कोटा शहर में सकतपुरा जलशोधन केन्द्र से जुडे गई इलाकों में लोगों ने शाम तक पानी नहीं मिलने की शिकायत की। मामले में जलदाय विभाग के अधीशासी अभियंता श्याम माहेश्वरी ने बताया कि सकतपुरा में विद्युत फाल्ट आने के कारण परेशानी आई। दोपहर बाद पंप चालू कर जलापूर्ति शुरू की गई, जिससे पानी देर से पहुंचा।