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Karoli कैलादेवी अभयारण्य में दो साल में दो कदम भी आगे नहीं बढ़ा पर्यटन सफारी

 
Karoli कैलादेवी अभयारण्य में दो साल में दो कदम भी आगे नहीं बढ़ा पर्यटन सफारी
करौली न्यूज़ डेस्क, करौली रणथम्भौर राष्ट्रीय अभयारण्य के दूसरे डिवीजन कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में लम्बे इंतजार के बाद करीब दो वर्ष पहले पर्यटन सफारी की शुरूआत तो हुई, लेकिन सफारी के आगाज के बाद से अब तक यह एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है। विभागीय सूत्रों के अनुसार अब तक पर्यटक अभयारण्य क्षेत्र में भ्रमण के लिए नहीं आए हैं।जबकि दूसरी ओर रणथम्भौर राष्ट्रीय अभयारण्य में भ्रमण के लिए हजारों देशी-विदेशी सैलानी पहुंचते हैं। विभागीय अधिकारी कहते हैं कि अभी अभयारण्य क्षेत्र में नई शुरुआत है। आगामी समय में यहां पर्यटकों का पहुंचना शुरू होगा। लेकिन हककीत यह है कि कैलादेवी वन्यजीव अभयारण्य के समुचित प्रचार-प्रसार और आधी-अधूरी व्यवस्थाओं के बीच पर्यटन सफारी की शुरूआत की गई, जिसके प्रति अधिकारियों ने भी कोई खास रुचि नहीं दिखाई।

कैलादेवी वन्य जीव अभयारण्य 774 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, जिसमें विभिन्न वन्यजीवों के साथ लगातार बाघों का भी मूवमेंट बना रहता है। गौरतलब है कि करीब तीन वर्ष पहले कैलादेवी वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में तीन सफारी रूटों पर पर्यटन शुरू करने की स्वीकृति मिली थी, जिसके बाद एक अक्टूबर 2022 से पर्यटन सफारी की शुरूआत हुई थी। उस समय नए पर्यटन सत्र के लिए महज पांच जिप्सियों का ही पंजीयन हो सका था, लेकिन वे सभी सवाईमाधोपुर से जुड़ी हुई थी।

बाघों का लगातार रहता है मूवमेंट

रणथम्भौर राष्ट्रीय अभयारण्य क्षेत्र से जुड़ा होने से कैलादेवी अभयारण्य क्षेत्र में बाघों का लगातार आना-जाना बना रहता है। वर्तमान में भी इस अभयारण्य क्षेत्र में चार-पांच बाघों का मूवमेंट बना हुआ है। यूं तो रणथम्भौर से पिछले वर्षों में इस इलाके में कई टाइगर आते-जाते रहे हैं, लेकिन टाइगर टी-118, टी-80 तूफान, टी-72 सुल्तान, टी-92 सुंदरी को तो यह इलाका खूब भाया। इनमें से टाइगर सुल्तान और सुंदरी का तो जोड़ा ही बन गया। इन दोनों को मण्डरायल क्षेत्र का नींदर रेंज खूब भाया और यहां पर लम्बे समय तक ठहराव भी किया था। कुछ वर्ष पहले इस जोड़े ने दो शावकों को जन्म देकर कैलादेवी अभयारण्य में खुशखबरी भी फैलाई। वहीं टी 118 ने भी दो शावकों को कैलादेवी रेंज के नाका राहर इलाके में जन्म दिया था।

रोजगार-विकास की है उम्मीद अभी अधूरी

कैलादेवी अभयारण्य को विकसित करने के लिए केन्द्र सरकार ने टाइगर हैबिटेट जोन घोषित कर वर्ष 2008 में अभयारण्य में बसे 44 गांवों के विस्थापन की योजना तय की थी। लेकिन विस्थापन की चाल शुरू से ही मंद रही है। इस बीच तीन सफारी रूटों की स्वीकृति से क्षेत्र के लोगों को विकास और रोजगार की उम्मीद जागी थी। रणथम्भौर भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटकों व कैलामाता के दर्शन करने पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को इस नए अभयारण्य में पर्यटन के बारे में जानकारी ही नहीं मिल पा रही है। पर्यटकों के नहीं आने से फिलहाल क्षेत्र का विकास और रोजगार की उम्मीद अधूरी ही है।