Karoli माटी के गणेशजी में होता पंचतत्व समावेश, पर्यावरण को नुकसान नहीं
Sep 6, 2024, 15:25 IST
करौली न्यूज़ डेस्क, करौली मिट्टी से बनी गणेशजी की मूर्ति को मंगलमूर्ति कहा गया है। जिसके निर्माण में पंचतत्वों से घर में आस्था से प्रकृति का सृजन होता है। वहीं 10 दिन तक पूजा करने के बाद गणपति की मिट्टी की प्रतिमा जलविसर्जन से पुन: प्रकृति में समाविष्ट हो जाती है। जबकि प्लास्टर ऑफ पेरिस की रासायनिक रंगों से संवरी प्रतिमाएं जल को प्रदूषित करती हैं। ऐसे में वेदोक्त विधान से माटी के गणपति की मूर्ति बनाकर पूजा करनी चाहिए।मां गौरी के लाड़ले गणेशजी की मिट्टी की प्रतिमा बनाने का उल्लेख वैदिक शास्त्रों में है। मिट्टी के पंच तत्वों में शामिल होने से इससे निर्मित गणेशजी की पूजा साधक के लिए मंगलकारी होने के साथ प्रकृति की संरक्षक होती है। यानी विर्सजन से किसी प्रकार प्रदूषण नहीं होना भी सृजन है।
प्रकृति का निर्माण पंचतत्व भूमि, जल, वायु, अग्नि और आकाश से मिल कर हुआ है। इनमें भूमि यानि मिट्टी प्रथम मानी गई है। माटी से गणेशजी की प्रतिमा बनाने के दौरान अन्य चार तत्वों का समावेश होता है। ऐसे में मिट्टी से बनी प्रतिमा की पूजा से देव स्वरूप में प्रकृति की आराधना भी होती है। शुभकार्यों के समय मिट्टी की डली को ही गणेशजी के रूप में विराजित कर पूजन किया जाता है।
हिण्डौनसिटी. गणेश चतुर्थी के नजदीक आने के साथ ही शहर में गणेश उत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। बाजार में गणेशजी की प्रतिमाओं व तस्बीरों की दुकानें सजने लगी हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए घर-घर सृजन पहल से जुड़कर मंदिरों के पंड़ित व आचार्य ने मिट्टी की गणपति प्रतिमा बना कर पूजन करने को धर्मसंगत होने के साथ पर्यावरण संरक्षक बताया।