Karoli महाराज गोपाल सिंह की पुण्यतिथि पर छतरी पर राज परिवार ने की विशेष पूजा-अर्चना

उनके जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। गोपाल सिंह जी ऐसे प्रतापी राजा थे, जिनका सम्मान दुश्मन भी किया करते थे। वर्तमान करौली के निर्माता जिन्होंने नागा साधुओं की मदद से यह वर्तमान शहर स्थापित किया था और राजस्थान की एकता के लिए हुरदा सम्मेलन के अपनी छोटी आयु में ही उपाध्यक्ष और सेनापति बने थे। एक शासक के अलावा भी इनका एक संत जीवन था। जिनकी भक्ति से प्रसन्न होकर श्री मदन मोहन जी करौली पधारे। विवस्वत पाल ने कहा कि करौली की जनता ने बहुत पहले से महाराजा गोपाल सिंह की प्रतिमा स्थापित करने की मांग रखी थी, जिसमें वह हर संभव सहायता के साथ जनता के साथ हैं। इस दौरान राज्यआचार्य पंडित प्रकाश चन्द जति, पुजारी श्यामबाबू भट्ट, सुमित भट्ट भी उपस्थित रहे। वरिष्ठ इतिहासकार वेणुगोपाल शर्मा ने बताया कि 13 मार्च 1757 को गोपाल सिंह के देहावसान के बाद उनकी याद में उनके पिता कुंवर पाल के स्मारक के पास ही गोपाल सिंह का स्मारक बनवाया गया। इसे राजा गोपाल सिंह की छतरी के नाम से जाना जाता है।