Karoli धार्मिक प्रसंग सुन विभोर हुए श्रोता, कथा में सजाई झांकी
उन्होंने कहा कि मित्र सुदामा के आने पर भगवान कृष्ण अपने महलों से दौड़कर उनको लेने के लिए पहुंचे और उनको गले से लगा लिया। इसके बाद भगवान कृष्ण ने सुदामा से पोटली लेकर उसमे रखे चावल खा लिए और बदले में उनको दो लोक का साम्राज्य सौंप दिया।आचार्य ने कहा कि भगवान बड़े दयालु है जो दो मुट्ठी चावल खाकर दो लोक का राज दे देते हैं। भगवान ने चावल की तीसरी मुट्ठी खाने के लिए जैसे ही हाथ बढ़ाया तो उनकी पत्नी ने हाथ को पकड़ लिया और कहा कि प्रभू आप क्या कर रहो। आप दो लोक का राज तो दे चुके है अब हम कहां रहेंगे। आचार्य ने कहा कि मनुष्य को हमेशा धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए। परोपकार के कार्य करने चाहिए। आचार्य ने कथा के बीच एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दी। जिस पर श्रोताओं ने नृत्य किया।इस मौके पर जयकारों से माहौल धर्ममय हो गया। भगवान श्रीकृष्ण के साथ रुकमणी की सजीव झांकी सजाई गई। कथा के समापन पर आरती व पूजन के बाद प्रसादी वितरित की गई। आयोजन समिति के सुरज्ञान सिंह ने बताया कि भागवत कथा के समापन के मौके पर मंगलवार को हवन होगा।
