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Karoli टमाटर में रोग से हो रहा नुकसान, 25 हैक्टेयर तक सिमटा उत्पादन

 
Karoli टमाटर में रोग से हो रहा नुकसान, 25 हैक्टेयर तक सिमटा उत्पादन
करौली न्यूज़ डेस्क, कुड़गांव क्षेत्र में करीब एक दशक पहले सैकड़ों हैक्टेयर भूमि में टमाटर की पैदावार होती थी, लेकिन अब किसानों का टमाटर की पैदावार से रुझान कम होता जा रहा है। क्योंकि टमाटर में रोग अधिक लगता है। जिससे रोग की रोकथाम नहीं हो पाती। कृषि विभाग से दवाएं भी नहीं मिलती। किसानों को बाजार से महंगे दामों पर खरीदनी पड़ती है। टमाटर के भावों की स्थिति भी ठीक नहीं है। कभी यह बहुत अधिक हो जाते हैं तो कभी इतने कम हो जाते हैं, कि लागत भी नहीं निकलती। किसानों को बेचने के बजाए फेंकने की नौबत आ जाती है। ऐसे में भावों में भी खासा मुनाफा नहीं होने से क्षेत्र के किसानों ने पैदावार कम कर दी है। इसके अलावा मौसम का भी हर समय अनुकूल साथ नहीं मिलने से फसल खराब होने की आशंका बनी रहती है। टमाटर की खेती में झुलसा रोग का प्रकोप रहता है।

नहीं मिलता प्रोत्साहन : किसानों ने बताया कि टमाटर की खेती को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा। फसल खराब होने पर न तो मुनाफा मिलता है न ही कृषि विभाग की ओर से रोगों की रोकथाम के लिए दवाएं। ऐसे में किसानों ने खेती कम कर दी है। आज बाजार में अधिकतर टमाटर बाहरी राज्यों से आ रहा है। किसानों ने बताया कि लागत के अनुसार मुनाफा नहीं मिलता है। कुड़गांव क्षेत्र में पैदा होने वाले टमाटर की कभी दूर-दूर तक पहचान थी। खेतों से पंजाब, दिल्ली हरियाणा की मंडियों तक टमाटर जाता था।

अब नहीं आते व्यापारी

कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार कुड़गांव सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में गत सात-आठ वर्षों पूर्व करीब 150 हैक्टेयर से अधिक भूमि में टमाटर की पैदावार होती थी, लेकिन अब यह मात्र 25 हैक्टेयर तक ही सिमट कर रहा गया है। दिल्ली के व्यापारी यहां आकर टमाटर की खरीद करते थे, लेकिन जब से किसानों का रुझान कम हुआ है पैदावार भी कम हो गई है और व्यापारी भी नहीं आते। कुड़गांव क्षेत्र में पैदा होने वाले टमाटर की बिक्री अब केवल करौली एवं सवाईमाधोपुर जिले तक ही सीमित रह गई है। किसानों ने बताया कि कस्बे सहित आसपास के मंडावरा, गोकलपुर, खूबपुरा, डाबरा, डिकौली, खेड़ा, लेदिया, चैनपुर बर्रिया आदि में टमाटर की अच्छी पैदावार होती थी।