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कैला देवी मंदिर के 300 साल पुराने इतिहास में पहली बार बदले गए नियम, श्रद्धालु जल्दी से जान ले वरना होगी परेशानी

 
कैला देवी मंदिर के 300 साल पुराने इतिहास में पहली बार बदले गए नियम, श्रद्धालु जल्दी से जान ले वरना होगी परेशानी 

पर्यावरण संरक्षण के तहत इस बार राजस्थान के करौली जिले में स्थित ऐतिहासिक कैलादेवी मंदिर में चैत्र नवरात्रि लक्खी मेले को पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त बनाने की पहल की गई है। मंदिर प्रशासन के अनुसार 250 से 300 साल के इतिहास में यह पहली बार है जब प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। इस मेले में प्रसाद अब कपड़े की थैली और कागज की थैली में दिया जा रहा है।

10 टन प्लास्टिक पर प्रतिबंध
मंदिर ट्रस्ट के संचालन अधिकारी विवेक द्विवेदी ने बताया कि इस पहल से 10 से 12 टन प्लास्टिक कचरा रोका गया है। पॉलीथिन की जगह कागज और कपड़े का विकल्प अपनाया गया है। मंदिर परिसर में पॉलीथिन के प्रसार को रोकने के लिए साउंड सिस्टम, बैनर और पोस्टर के जरिए जागरूकता फैलाई गई है।

60 काउंटर पर पॉलीथिन मुक्त प्रसाद
मेले में 60 विशेष काउंटर लगाए गए हैं, जहां श्रद्धालुओं को पॉलीथिन मुक्त प्रसाद उपलब्ध कराया जा रहा है। गंगापुर से लेकर कैलादेवी तक मंदिर प्रशासन ने आगरा, मथुरा और इंदौर जैसे स्थानों पर होर्डिंग लगाकर लोगों से प्लास्टिक की थैलियां न लाने की अपील की है।

पर्यावरण संरक्षण और गायों की सुरक्षा पर जोर
मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन का कहना है कि यह कदम न केवल पर्यावरण को बचाने के लिए बल्कि गायों की सुरक्षा के लिए भी उठाया गया है। पॉलीथिन और सीवरेज जाम होने से गायों के बीमार होने की समस्या को गंभीरता से लिया गया है।

कड़ी निगरानी और जागरूकता अभियान
मंदिर परिसर में गार्ड तैनात किए गए हैं, ताकि किसी भी श्रद्धालु को पॉलीथिन लेकर प्रवेश करने से रोका जा सके। प्रशासन का यह प्रयास पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम साबित हो रहा है। यह पहल न केवल मेले को स्वच्छ और सुरक्षित बनाएगी, बल्कि अन्य धार्मिक स्थलों के लिए भी मिसाल कायम करेगी।