Aapka Rajasthan

Jodhpur खनन माफिया के आगे प्रशासन-पुलिस बेबस क्यों

 
;

जोधपुर न्यूज़ डेस्क, अवैध बजरी खनन पर गंभीरता दिखाते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी में कहा कि यह आम धारणा बनाई जा रही है कि राज्य की पुलिस या प्रशासन का खनन माफिया पर कोई नियंत्रण नहीं है और न ही राज्य सरकार की माफिया को वश में करने की दृढ़ इच्छाशक्ति है। कोर्ट ने मुख्य सचिव, खान एवं गृह विभाग के प्रमुख सचिव तथा पुलिस महानिदेशक से पूछा है कि राज्य में खनन माफिया के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है और आगे की क्या कार्य योजना है। मामले की अगली सुनवाई एक जून को होगी।

सहायक पुलिस आयुक्त के वाहन को अवैध बजरी के परिवहन से टक्कर मारने को लेकर प्रकाशित खबर पर प्रसंज्ञान लेते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं को लेकर अमूमन राज्य भर की खबरें सामने आती रही हैं। अखबारों में भी नियमित रूप से खनन माफिया के बीच गैंगवार की घटनाएं प्रकाशित हो रही हैं, ऐसी घटनाएं निश्चित तौर पर जघन्य अपराध की बड़ी वजह है। यहां तक कि अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाने वाले निर्दाेष ग्रामीणों की हत्या तक के मामले सुनाई दिए हैं।

माफिया से भयभीत

खंडपीठ ने कहा कि यह भी धारणा है कि खनन माफिया इतने प्रभावशाली हैं कि प्रशासन में उनके प्रभाव के कारण कोई भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता। जबकि आम जनता इन माफिया से भयभीत और असहाय हैं, क्योंकि पुलिस और प्रशासन इनको नियंत्रित करने के कोई सख्त कदम नहीं उठा रहे।
गंभीर खतरे का सबबकोर्ट के अनुसार यह भी देखने में आया है कि अवैध रूप से बजरी का परिवहन करने वाले डम्पर राजमार्गों, शहरों की प्रमुख सड़कों और यहां तक कि संकरी गलियों में बहुत तेज गति से दौड़ते हैं, जोे आम जनता के लिए गंभीर खतरे का सबब है। डम्पर की नंबर प्लेटें या तो पूरी तरह से गायब हैं या नंबर प्लेट और पंजीकरण संख्या मिट्टी या ग्रीस से छिपा दी जाती है, ताकि उनकी पहचान न हो सके। राज्य सरकार की तरफ अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह ने नोटिस स्वीकार किए। कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश जोशी, अधिवक्ता संदीप बिश्नोई और प्रांजुल मेहता को न्याय मित्र नियुक्त किया है।