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Jodhpur के ये पति-पत्नी दोनों पहनते हैं महिला के कपड़े, जानिए कैसे सांगाराम बन गया फेमस डांसर सोनू

 
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जोधपुर न्यूज़ डेस्क, आज हम आपको एक ऐसी प्रतिभा से रूबरू कराते हैं, जो स्कूल में पांचवीं कक्षा में पढ़ते हुए स्कूल में छोटे-छोटे डांस करते हुए एक दिन राजस्थान के बड़े से बड़े स्टेज प्रोग्राम में प्रेजेंटेशन देकर पश्चिमी देशों की लोकप्रिय डांस आर्टिस्ट बन गईं. राजस्थान, सोनू डांसर। है। बालेसर का एक ऐसा टैलेंट जिसे बचपन से ही जुनून था कि एक दिन वह बहुत अच्छा डांसर बनेगा।बालेसर कस्बे के रहने वाले संगाराम माली उर्फ सोनू डांसर का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता चंपाराम जो पेशे से किसान हैं और माता गरोन देवी गृहिणी हैं। बालेसर की खदान में मजदूरी करने वाले दो भाई व तीन बहनें विवाहित हैं।

पत्नी के कहने पर डांस करने लगा
संग्राम के घरवालों को शुरुआत में संगाराम का ऐसा डांस पसंद नहीं आया, लेकिन 2008 में उन्होंने शादी कर ली। स्वावलंबी उनकी पत्नी शोभा सिलाई का काम करती हैं। शादी के बाद जब पत्नी ने उनके डांस वीडियो देखे तो कहा कि भगवान ने आप में इतना अच्छा टैलेंट दिया है. अपने टैलेंट को पहचानें और लोग क्या कहेंगे इसकी चिंता न करें और डांस की इस फील्ड में अपना करियर बनाएं। संगाराम इससे प्रेरित हुए और अपनी पत्नी के कारण ही आज वे इस मुकाम पर हैं।संगाराम का नृत्य कार्य 12 महीनों तक लगातार चलने वाला कार्य नहीं है। रात का कार्यक्रम हो तो दिन में फ्री रहता है, लेकिन इस समय को बर्बाद न करके वह एक अच्छा डांसर होने के साथ-साथ लकड़ी के फर्नीचर का बेहतर कारीगर भी है।

  20 से अधिक राज्यों में नृत्य
सोनू डांसर समय-समय पर शादी समारोह, धार्मिक आयोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, आस-पास के गांवों में होने वाली झांकी सहित विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों में महिलाओं की वेशभूषा में भाग लेती हैं। पहले सोनू आसपास के गांवों में ही अपनी कला का प्रदर्शन करते थे, लेकिन धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर अपनी मजबूत पकड़ के कारण आज सोनू न केवल राजस्थान बल्कि देश के 20 से अधिक राज्यों में लगभग 1000 से 1200 कार्यक्रमों में प्रस्तुति दे चुके हैं. अपने कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां देकर मैंने अपनी अमिट छाप छोड़ी है।

सोशल मीडिया पर पोस्ट किए वीडियो
सोनू राजस्थानी लोक नृत्यों, विशेष रूप से राजस्थानी घूमर, कालबेलिया, मटकी नृत्य और गैर-नृत्यों में मंच प्रदर्शन करते हैं। इसके साथ ही राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती, हनुमानजी, जगदंबा, अष्टभुजा विभिन्न देवी-देवताओं का रूप धारण कर मंच पर प्रस्तुति देते हैं।