जोधपुर, राजस्थान के इन जिलों में आने वाले वर्षों में ज्यादा आएंगे आंधी-तूफान
जोधपुर न्यूज़ डेस्क , आने वाले वर्षों में आखरी, आबाद और जोधपुर में तूफान, भीषण गर्मी जैसे आख्यानों में डकैती पड़ेगी। जलवायु परिवर्तन के कारण यहां भूमि कटाव और मरुस्थलीकरण लगातार बढ़ रहा है। भूमि कटाव के कारण कार्बन और नाइट्रस हवा में उत्सर्जित हो रहे हैं। कंक्रीट में इसी तरह के कार्बन डाई प्लांट और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसें लगातार पैदा हो रही हैं यह निष्कर्ष राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मी कांत शर्मा और उनके शोधकर्ता डॉ. आलोक राज द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया है। विश्वविद्यालय ने 2000 से 2020 तक राजस्थान के डेटा का अध्ययन किया। सैटेलाइट डेटा और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के दस्तावेज़ प्रतिक्रिया मॉडल (PRAM) का उपयोग किया गया। यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका एनवायर्नमेंटल मॉनिटरिंग एंड असेसमेंट में प्रकाशित हुआ है।
पूरे राज्य में बढ़िया
पूरे प्रदेश के संदर्भ में देखा जाए तो जमीन की ताकत बढ़ी है। राज्य में नाममात्र संग्रहालय शाकाहारी डेवलपर्स इंडेक्स (एनवी वेबसाइट), जो 2000 में 0.20 था, 2020 में मार्केट प्लस 0.30 हो गया। भूमि पिरामिड से संबंधित नेट पिरामिड उत्पाद (एनपीपी) 4.27 किलोमीटर प्रति वर्ग मीटर से बढ़कर 7.74 किलोमीटर प्रति वर्ग हो गया है। बीस साल में मीटर.
ऑक्सफ़ोर्ड डिवीजन में सबसे अच्छी भूमि
सबसे अधिक भूमि दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान में मिशाल प्रदेश में पाई गई। इसमें सिरोही, जालौर, यूके, डूंगरपुर, बांस बांस, अनुसंधान, चित्तौड़, राजसमंद जैसे जिले शामिल हैं। जयपुर और शेखावाटी में भी भूमि निम्नीकरण: पश्चिमी राजस्थान के बड़े हिस्से में भूमि निम्नीकरण हुआ है। छोटे पैमाने पर शेखावत क्षेत्र के चूरू, विभाग, जयपुर और दौसा के कुछ क्षेत्र तथा नागौर के सीमांत क्षेत्र शामिल हैं। पश्चिमी राजस्थान में मरुस्थलीकरण पहले से ही था। खनन, औद्योगीकरण, ब्लास्टिंग से लेकर भूमि उत्पादन तक में वृद्धि हुई है। यह जलवायु परिवर्तन की मुख्य विशेषताओं में से एक है।