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प्रदेश के अस्पतालों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं पर हाईकोर्ट ने लिया प्रसंज्ञान, वीडियो में देखें पूरी खबर

 
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जोधपुर न्यूज़ डेस्क !!! हाई कोर्ट ने प्रदेश के अस्पतालों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया हैं। जस्टिस अनूप ढंढ की अदालत ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर प्रसंज्ञान लेते हुए कहा कि स्वास्थ्य का अधिकार मानव गरिमा से जुड़ा हैं, इसके संरक्षण की जिम्मेदारी राज्य की हैं। अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तौर पर स्वास्थ्य के अधिकार को सीधे तौर पर मूल अधिकार के रूप में शामिल नहीं किया है, लेकिन जीवन जीने के अधिकार में स्वास्थ्य का अधिकार भी शामिल है।

 

कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में सीधे तौर पर स्वास्थ्य का अधिकार मौलिक अधिकार के रूप में शामिल नहीं है, बल्कि जीवन के अधिकार में स्वास्थ्य का अधिकार भी शामिल है. ऐसे में सरकारी अस्पताल और किसी भी अन्य चिकित्सा संस्थान की जिम्मेदारी है कि वह मानव जीवन की रक्षा के लिए विशेषज्ञता के साथ अपनी सेवाएं प्रदान करे। अस्पताल प्रशासन और उसमें काम करने वाले स्टाफ को किसी भी तरह से इंसानी जिंदगी से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

अस्पताल, स्टाफ और सरकार के ढीले प्रशासन की लापरवाही से किसी की जान नहीं जानी चाहिए. हाई कोर्ट ने अपने आदेश की शुरुआत में लिखा कि हर किसी को स्वास्थ्य और कल्याण का अधिकार है। कोर्ट ने यजुर्वेद के मंत्र का हवाला देते हुए कहा कि यजुर्वेद में भी स्वास्थ्य के अधिकार को मान्यता दी गई है.

लेकिन आज राज्य के अस्पतालों में कई स्वास्थ्य योजनाएं होने के बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं का गिरना चिंता का विषय है. अस्पतालों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. कोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य के मुख्य सचिव से 11 दिसंबर तक पूछा है कि उन्होंने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए क्या कार्रवाई की है. कोर्ट ने कहा कि मानव जीवन को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए. क्योंकि एक बार जान चली गई तो उसे वापस नहीं लाया जा सकता।

स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है

कोर्ट ने कहा कि आम लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना सरकार का संवैधानिक दायित्व है. अब समय आ गया है कि सरकार स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार करे और जनता के हित में बेहतर और पर्याप्त सुविधाओं वाले अच्छी संख्या में अस्पताल और सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करे। कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, राज्य के मुख्य सचिव, एसीएस चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशक से भी जवाब देने को कहा है. साथ ही केंद्र सरकार की ओर से एएसजी आरडी रस्तोगी, सरकारी वकील अर्चित बोहरा और वकील तनवीर अहमद को इस मामले में सहयोग करने को कहा है.

 

राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!!