उपभोक्ता आयोग ने मशीनरी खरीद विवाद में सुनाया अहम फैसला, हरियाणा कंपनी को जोधपुर ग्राहक को भुगतान करने का निर्देश
राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की पीठ ने मशीनरी खरीद से जुड़े एक विवाद में सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए उपभोक्ता को न्याय दिलाया। आयोग ने हरियाणा के अंबाला की एक मशीनरी सप्लायर कंपनी को आदेश दिया है कि वह जोधपुर निवासी पीड़ित उपभोक्ता को मशीनरी की लागत वापस करे और साथ ही वाद व्यय व मुआवजे का भुगतान भी करे। फैसला पीठ के अध्यक्ष जस्टिस देवेंद्र कच्छावाहा एवं सदस्य लियाकत अली की संयुक्त सहमति से हुआ।
शिकायत में क्या था मामला
पीड़ित उपभोक्ता ने आयोग के समक्ष आरोप लगाया था कि उसने अपनी औद्योगिक जरूरतों के लिए उक्त अंबाला कंपनी से मशीनरी खरीदी थी। मशीनरी खरीदते समय कंपनी द्वारा वादा किया गया था कि यह मशीन उच्च गुणवत्ता की होगी तथा सप्लाय के बाद में भी सर्विस एवं मरम्मत की सुविधा उपलब्ध होगी। लेकिन मशीन मिलने के बाद उसकी कार्यप्रणाली में गड़बड़ियां सामने आईं — मशीन तय क्षमता पर नहीं चली, बार-बार उत्पादन रुकावट हुई और दावों के अनुरूप प्रदर्शन न होने के कारण उपभोक्ता को उत्पादन में भारी नुकसान झेलना पड़ा।
समय-समय पर शिकायतों के बावजूद कंपनी ने न तो मशीन की मरम्मत की, न ही उसे बदलकर कोई नया मॉडल उपलब्ध कराया। परिणामस्वरूप उपभोक्ता का व्यवसाय प्रभावित हुआ और आर्थिक नुकसान के साथ मानसिक तनाव भी बढ़ गया। ऐसे में उसने कष्ट-विवरण सहित शिकायत दर्ज करवाई।
आयोग ने सुनी दलीलें और लिया निर्णय
शिकायत के आधार पर जब मामले की सुनवाई हुई, तो आयोग ने दोनों पक्षों को सुना। पीड़ित उपभोक्ता की ओर से प्रस्तुत हुए तकनीकी साक्ष्यों, मशीन की विफलता का ब्योरा, मरम्मत के लिए कंपनी द्वारा की गई अनदेखी — ये सब आयोग ने ध्यान से परखा। दूसरी ओर, कंपनी पक्ष दलील देती रही कि मशीन “प्रयोगात्मक दोष” का सामना कर रही है और समय देने पर वह ठीक कर देगी। लेकिन मरम्मत या प्रतिस्थापन के लिए कंपनी की ओर से कोई ठोस और भरोसेमंद पेशकश नहीं आई।
इन तथ्यों के मद्देनज़र आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला कि कंपनी ने न सिर्फ अपने दायित्वों का पालन नहीं किया, बल्कि उपभोक्ता कानूनी अधिकारों की प्रतिकूल स्थिति प्रस्तुत की
आयोग ने आदेश दिया है कि कंपनी उपभोक्ता से मशीनरी की पूरी मूल कीमत वापस ले और उपभोक्ता को मानसिक संतप्ति, उत्पादन बाधा तथा वाद व्यय के मुआवजे का भुगतान भी करे। इसके अतिरिक्त, यदि मशीनरी के कारण कोई अन्य आर्थिक नुकसान हुआ हो, उसका भी निपटारा उचित प्रमाणों के आधार पर किया जाए।
पीड़ा ग्रस्त उपभोक्ता ने आयोग के इस फैसले पर संतोष व्यक्त किया और इसे अन्य जरूरतमंद उपभोक्ताओं के लिए उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि यह न्याय-संस्था ने उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा की है और बाजार में गुणवत्ता, सेवा व सम्मान की उम्मीद जगाई है।
कानूनी विशेषज्ञों व सामाजिक सक्रियता से जुड़े लोगों का कहना है कि यह फैसला इस बात का द्योतक है कि व्यापारिक प्रतिष्ठान सिर्फ बिक्री तक सीमित नहीं रह सकते — उन्हें बिक्री के बाद भी उत्पाद की गुणवत्ता व सेवा की जवाबदेही लेनी होगी।
बढ़ते कारोबारी दायरों में अनेकों कंपनियाँ महंगे वाव-विवरण के सहारे ग्राहकों को लुभाती हैं, लेकिन वास्तविकता में गुणवत्ताहीन उत्पाद देने और बाद में लापरवाही दिखाने में संकोच नहीं करतीं। ऐसे में आयोग का यह निर्णय एक सशक्त मिसाल है कि उपभोक्ता अपनी शिकायतों के लिए मजबूती से आवाज उठा सकते हैं।
आयोग द्वारा लिए गए इस फैसले से उम्मीद की जा रही है कि उपभोक्ता अब अधिक सतर्क होंगे और उत्पाद या सेवा खरीदते समय गुणवत्ता, वारंटी व बिक्री के बाद सेवा को पहले से जाँचेगे। साथ ही, अगर किसी प्रकार की धोखाधड़ी या सेवा में असुविधा होती है, तो वे अपने अधिकारों के लिए कानूनी रास्ता अपनाने से नहीं हिचकेंगे।
