राजस्थान की इस जेल में कांड होने से पहले पुलिस ने आरोपी को दबोचा, जानें मामला
जोधपुर न्यूज़ डेस्क, जोधपुर सेंट्रल जेल एक बार फिर सुर्खियों में है। सजा काटने वाले एक कैदी तक मोबाइल पहुंचाने के लिए दोस्त ने पहले तो एक अन्य कैदी से मिलने का रजिस्ट्रेशन करवाया और जेल में मुलाकात कक्ष तक पहुंच गया। उसने इंटरकॉम केबल में मिनी मोबाइल बांधा और जाली में बने हॉल से केबल के मार्फत मोबाइल अंदर भेजने लगा, लेकिन जेल प्रहरी को संदेह हो गया तो दोस्त केबल में मोबाइल बंधा छोड़कर साथी के साथ भाग गया। आश्चयर्जनक रूप से दोनों तीन सौ मीटर दूर मुख्य गेट से भी निकल गए। जेल प्रशासन ने मोबाइल कब्जे में लेकर रातानाडा थाने में कैदी व मिलने आए दोस्त के खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाई।
पुलिस के अनुसार मथानिया क्षेत्र में नेवरा रोड निवासी रमेश पुत्र हुक्माराम जोधपुर सेंट्रल जेल में कैदी है। उसने अपने दोस्त गंगाणी निवासी धर्मेन्द्र चौधरी के मार्फत मिनी मोबाइल मोबाइल मंगवाया। इसके लिए दोनों ने साजिश रची और अन्य कैदी लहराराम पुत्र करनाराम से मिलने के बहाने जेल में आने का निर्णय किया गया। धर्मेन्द्र अपने एक साथी के साथ जेल पहुंचा। कैदी लहराराम से मुलाकात के लिए जेल में रजिस्ट्रेशन करवाया। मुख्य गेट पर तलाशी व जांच के बाद दोनों जेल में मुलाकात कक्ष तक पहुंच गए। इन्होंने इंटरकॉल केबल में कुछ छेड़छाड़ की। मिनी मोबाइल केबल में बांध दिया और मुलाकात कक्ष की जाली में छोटे हॉल से अंदर भेजने की कोशिश करने लगे। इतने में जेल प्रहर लक्ष्मणराम को संदेह हो गया। उसने मुलाकात करने वालों को टोका और मुलाकात कक्ष के केबिन-20 में पहुंचा, जहां इंटरकॉल केबल से मोबाइल बंधा मिला। तब तक दोनों मुलाकाती बहाने बनाते हुए बाहर निकल गए और जेल के मुख्य गेट से होकर भाग गए। प्रहरी ने जेल अधिकारियों को सूचित किया।
बंदियों से पूछताछ में खुली पोल
जेल प्रशासन ने कैदी लहराराम से पूछताछ की। उसने बताया कि उससे कोई परिजन मिलने नहीं आता है। वह जब से जेल में बंद है, तब से कोई भी मिलने नहीं आया है। मुलाकात के करवाने बंदियों को बुलाने के लिए तैनात बंदी भरत पुत्र मगनलाल से पूछताछ की गई तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। कैदी रमेश पुत्र हुक्माराम ने भरत से कहा था कि लहराराम से मिलने के लिए धर्मेन्द्र नामक युवक आएगा और वह कुछ सामान भी लेकर आ रहा है। इस बारे में रमेश से पूछताछ की गई तो उसने स्वीकार किया कि दोस्त धर्मेन्द्र चौधरी मोबाइल देने के लिए जेल में आया था। उसने लहराराम से मिलने का रजिस्ट्रेशन करवाया था। धर्मेन्द्र पहले भी जेल में बंद रह चुका है।
तीन सौ मीटर पैदल दौड़कर जेल से निकले भागे
मुलाकात करने आने वालों की जेल के बाहर अस्थाई चौकी में तैनात पुलिस तलाशी लेती है। फिर जेल के मुख्य द्वार पर आरएसी के जवान तलाशी लेते हैं। धर्मेन्द्र व साथी की तलाशी लेने के बावजूद मोबाइल का पता नहीं लग पाया। इतना ही नहीं, मोबाइल को केबल से बांधने के दौरान प्रहरी को अंदेशा हुआ तो दोनों आराम से तीन सौ मीटर पैदल ही दौड़कर मुख्य गेट से बाहर भी निकल गए। जेल के सुरक्षाकर्मियों ने दोनों को पकड़ने के लिए आवाज तक नहीं लगाई। जेल प्रशासन ने अभय कमाण्डएण्डकन्ट्रोल सेंटर व पुलिस की मदद से तलाश की कोशिश की, लेकिन वे पकड़े नहीं जा सके। जेल में दो युवक एक कैदी को मोबाइल देने पहुंचे थे। जेल प्रहरी की सतर्कता के चलते संदेह हो गया। वायर में बंधा मिनी मोबाइल छोड़कर दोनों जेल से निकल गए। कैदी तक मोबाइल नहीं पहुंचाया जा सका। परिजन स्वयं भी बंदियों तक मोबाइल लाने की कोशिश कर रहे हैं। लगातार तलाशी लेकर मोबाइल जब्त किए जा रहे हैं।