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Jodhpur प्रदेश की अकादमियों में अटकी राजनीतिक नियुक्तियां, 10 में से 8 में अध्यक्ष की कुर्सी खाली

 
Jodhpur प्रदेश की अकादमियों में अटकी राजनीतिक नियुक्तियां, 10 में से 8 में अध्यक्ष की कुर्सी खाली

जोधपुर न्यूज़ डेस्क, प्रदेश में सरकार बदलने के बाद से प्रमुख दस अकादमियों में अब तक राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हो पाई है। दस में से 8 अकादमियों में अध्यक्ष और एक में निदेशक कुर्सी खाली पड़ी है। इन अकादमियों में प्रशासकों को कामचलाऊ कमान दे रखी है। अमूमन अकादमिक के उच्च शिक्षा व शोध से जुड़ी होने से स्टूडेंट्स और शोधार्थियों के कामकाज काफी प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा कला व संस्कृति से जुड़ी अकादमियों के कार्य मंथर हो रहे हैं। लेखकों व कला प्रेमियों के जुड़े होने से निराशा का सामना करना पड़ रहा है।स्टूडेंट्स व शोधार्थियों की लगातार मांग के बाद में भी सरकार नियुक्ति को लेकर उदासीनता ही दिखा रही है। प्रदेश में प्रमुख तौर दस अकादमियां संचालित हो रही है। इन अकादमियों में से राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी में निदेशक का पद प्रतिनियुक्ति पर होती है, जबकि शेष नौ अकादमियों में अध्यक्ष पद पर राजनीतिक नियुक्तियां होती है। भाजपा सरकार के गठन के बाद से 10 में से 9 अकादमियों में अधिकांश राजनीतिक पद खाली ही पड़े हैं।

अभी तक केवल पंजाबी भाषा अकादमी को मिला अध्यक्ष

केवल राजस्थान पंजाबी भाषा अकादमी श्रीगंगानगर में ही अध्यक्ष पद पर नियुक्ति हुई है।राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी जयपुर उच्च शिक्षा मंत्रालय के अधीन संचालित हैं। जिसके अध्यक्ष उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.प्रेमचंद बैरवा हैं।उनके अधीन अकादमी के निदेशक पद पर प्रतिनियुक्ति से नियुक्ति होती है। निदेशक पद पर एक साल से नियमित नियुक्ति नहीं हो पाई है। प्रशासनिक अधिकारी काे कार्यवाहक पदभार दे रखा है। इसके कारण से उच्च शिक्षा के स्टूडेंट्स, प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों व शोधार्थियों को मानक पुस्तकें नहीं मिल रही है। वहीं 8 अकादमियों में कला, संस्कृति व पर्यटन मंत्रालय के अधीन संचालित हैं।

जिसमें राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर, राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर, राजस्थान संस्कृत अकादमी जयपुर, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर, राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी जयपुर, राजस्थान सिंधी अकादमी जयपुर, राजस्थान उर्दू अकादमी जयपुर तथा राजस्थान ललित कला अकादमी जयपुर में नियमित राजनीतिक नियुक्तियों के पद खाली पड़े हैं। इनमें से कुछ अकादमियों में प्रशासनिक अधिकारी कामचलाऊ तौर पर ही कार्य संभाल रहे हैं।