Jodhpur 22 लाख की कार में केक बेचने आता है युवक, ऐसे शुरू किया बिजनेस, जाने
जोधपुर न्यूज़ डेस्क, जोधपुर का मेडिकल चौराहा और उसके पास खड़ी 22 लाख रुपए की लग्जरी एमजी हेक्टर कार। इस कार में बैठकर आने वाला शख्स एमसीए (मास्टर इन कंप्यूटर एप्लीकेशन) है और डेली फुटपाथ पर टेबल लगाकर एक खास जायका बेचता है।ये घर से ऐसा लजीज चीज केक बनाकर लाते हैं जिन्हें खाने के लिए इन दिनों यूथ की भीड़ उमड़ रही है। कभी सरकारी नौकरी के लिए कई बार प्रयास किए थे, नौकरी नहीं लगी तो खुद का स्टार्टअप शुरू किया। चलिए इस कड़ी में आपको भी करवाते हैं इस जायका से रूबरू और बताते हैं पूरी कहानी…
कंपटीशन एग्जाम में फेल हुए तो सीखी बेकिंग
जोधपुर के रहने वाले ईश्वर सिंह ने बताया कि सरकारी नौकरी के लिए उन्होंने खूब प्रयास किए। कॉम्पिटिशन एग्जाम दिए, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। एक दिन इंस्टाग्राम पर रील देख रहे थे, वहां उन्हें खाने-पीने की आइटम बेचने का आइडिया आया। फिर क्या था ईश्वर सिंह चौधरी हैदराबाद गए, वहां बेकिंग सीखी। एक महीने तक चीज केक बनाना सीखा और फिर चीज केक अपनी गाड़ी में लेकर बेचने के लिए निकल गए। वहां ये एक्सपेरिमेंट अच्छा रहा।b फिर सोचा क्यों न अपने शहर जोधपुर में इसी तरह का नया स्टार्टअप किया जाए। ईश्वर बताते हैं मैंने जोधपुर आकर भी यही तरीका अपनाया। 2 अक्टूबर 2023 को टेबल कुर्सी लेकर निकला, शहर में जगह सोची कि कहां लेकर खड़े होना है कि लोग इसे पसंद करें। फिर मेडिकल कॉलेज के दूसरे गेट के बाहर कार पार्किंग में लगाई।
तीन केक, 24 पीस से शुरुआत
कुछ दिन देखा, ज्यादा रिस्पॉन्स नहीं आया फिर गेट नंबर एक पर लगाना शुरू किया। मैंने तीन केक के 24 पीस बनाकर चीज केक बेचने की शुरुआत की। कुछ दिन तक 5 पीस बिकते थे और 10 पीस टेस्ट करने में चले जाते। अब यह हाल है कि हर दिन 40 पीस लेकर आता हूं और रोजाना सभी पीस बिक जाते हैं। ईश्वर सिंह ने अपने स्टार्टअप को नाम दिया है चीज स्ट्रीट। यहां वे 4 फ्लेवर में चीज केक बेचते हैं। न्यूयॉर्क, ब्लूबेरी, ओरियो न्यूटेला, चॉकलेट मूस। इनका रेट 120 रुपए से शुरू होकर 160 रुपए रहता है। ये सारी वैरायटी वे टेबल पर बेचते हैं, वहीं केक प्री ऑर्डर मिलने पर ही बनाते हैं। ईश्वर ने बताया कि 2019 में उन्होंने एमजी हेक्टर कार खरीदी थी। काम शुरू किया तब यही सोचा की गाड़ी में रखकर ही ले जाएंगे। आज जब लोग गाड़ी के पास मुझे फुटपाथ पर टेबल लगाते देखते हैं तो सरप्राइज होते हैं। कुछ कहते हैं पैशन अच्छा है तो कुछ कहते हैं गाड़ी है फिर भी रोड पर खड़े होकर क्या बेच रहे हो। गाड़ी लेकर लगाओ या ठेला, मेरी नजर में हर काम की अपनी वैल्यू होती है। खुशी की बात ये है कि निगेटिव बोलने वाले कम और हिम्मत बढ़ाने वाले ज्यादा आते हैं।
सुबह 8 बजे शुरू करते हैं काम
ईश्वर सिंह ने बताया कि वे सुबह 8 बजे केक बनाना शुरू करते हैं। दोपहर 12 से 1 बजे तक केक बन जाते हैं। शाम चार बजे घर से लेकर निकलते हैं उससे पहले केक की सजावट कर उसे पेस्ट्री में कट करते हैं। करीब 5 बजे स्टॉल लगाते हैं रात को 9 से 10 बजे तक फ्री हो जाते है। ईश्वर बताते है कि यह पेस्ट्री यूथ ज्यादा पसंद करते हैं उनमें क्रेज भी है अब कस्टमर रिपीट हो रहे हैं, अब पहचानने भी लगे हैं।
एक महीना घर पर की मेहनत
ईश्वर ने बताया कि उन्होंने चीज केक को नॉन बेक्ड बनाने की कोशिश की। मगर फ्रिज से बाहर निकालते ही केक मेल्ट हो जाता था। करीब एक महीने तक प्रैक्टिस की। शुरुआत में घर के ओवन में ही ट्राय किया। थोड़ा बहुत काम चलने के बाद बेकरी के हिसाब से ओवन व अन्य सामान खरीदा। ईश्वर बताते हैं कि अब आगे गर्मी का सीजन आने वाला है, इसलिए गर्मी में अब चीज पेस्ट्री के साथ परफे (एक तरह का फ्रेंच डेजर्ट) और पैनाकोटा (इटालियन डेजर्ट) भी एड करेंगे। परफे में योगर्ट और फ्रूट मिक्स होता है और पैना कोटा फ्रूट ज्यूस और हैवी क्रीम के साथ सर्व किया जाता है।
डेली कमा रहे 1000-1200 रुपए प्रॉफिट
ईश्वर सिंह ने बताया कि वह शाम पांच बजे यहां टेबल लगाकर बैठते हैं और रात 10 बजे तक सभी पीस बेच कर निकल जाते हैं। हर दिन 1200 रुपए तक प्रॉफिट हो जाता है। एक चीज पेस्ट्री की रेट 120 से 160 तक है। यूथ बहुत ज्यादा इसे पसंद कर रहे हैं। अब लोग केक का ऑर्डर भी देने लगे हैं।
पुणे से की थी पोस्ट ग्रेजुएशन
जोधपुर के महामंदिर राजीव कॉलोनी में रहने वाले ईश्वर मूल रूप से खींवसर के पास गांव सोयला के रहने वाले हैं। पिता भंवर सिंह फॉरेस्ट ऑफिसर से रिटायर्ड हुए। बड़े भाई कॉन्ट्रैक्टर हैं और दूसरे भाई एयरफोर्स से रिटायर्ड हैं। ईश्वर सिंह ने 2012 में पुणे से मास्टर की डिग्री ली। इसके बाद दिल्ली में कोचिंग कर सरकारी नौकरी के लिए कॉम्पिटिशन एग्जाम दिए। एसएससी व बैंक के एग्जाम के लिए तीन साल ट्राय किया लेकिन सक्सेस नहीं मिली। जोधपुर आकर जीरा मंडी में अकाउंट्स का काम करने लगे। इसी दौरान शादी हो गई। शादी के बाद पुणे जाकर मैथी व हींग की मार्केटिंग शुरू की। पुणे में ही किराणा दुकान लगाई। इस दौरान 2018 में डिवोर्स हो गया। कोविड के समय लॉकडाउन में दुकान बंद हो गई तब जोधपुर लौट आए। यहां आकर भाई नटवर के साथ काम शुरू किया। लेकिन इस काम में मन नहीं लगा तब दूसरे भाई के पास कर्नाटक चले गए। वहां दोस्त के साथ रेस्टोरेंट में तीन महीने काम किया। ईश्वर ने बताया कि रेस्टोरेंट के काम में ही मन लगता है इसलिए जनवरी 2022 में हैदराबाद के रंगारेड्डी में श्री संतोष फैमिली ढाबा रेस्टोरेंट की ब्रांच खोली। जुलाई 2023 में भाई मनोहर सिंह एयरफोर्स से रिटायर्ड हो गए तब उनको रेस्टोरेंट सौंप कर माता-पिता के पास जोधपुर आ गए। यहां आकर गांव में खेती किसानी संभाली, लेकिन स्टार्टअप करने की धुन सवार थी और यही सोच कर जोधपुर आए थे।
पिछले राजस्थानी जायका में पूछे गए प्रश्न का सही उत्तर
ये है दौसा की प्रसिद्ध मिठाई डोवठा। जब भी देवनगरी दौसा का जिक्र होता है तो 'डोवठा' की चर्चा जरूर होती है। अनोखी खस्ता मिठाई के रूप में प्रसिद्ध डोवठा मिठाई आज दौसा की पहचान बन चुकी है। राजा-महाराजाओं के जमाने से स्वाद का बेताज बादशाह डोवठा दौसा में राजनेताओं से लेकर आम लोगों में आज भी पहली पसंद बना हुआ है। इसका नाम डोवठा कैसे पड़ा? यह कहानी भी इसके स्वाद जैसी ही अनूठी है।
