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Jodhpur सुप्रीम कोर्ट का आदेश, एनएलयू खुद लाए नियमित स्टाफ, नहीं तो होगी कार्रवाई

 
Jodhpur सुप्रीम कोर्ट का आदेश, एनएलयू खुद लाए नियमित स्टाफ, नहीं तो होगी कार्रवाई
जोधपुर न्यूज़ डेस्क, सुप्रीम कोर्ट ने जोधपुर के सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को संविदा पर रखने पर नाराजगी जताई है. एनएलयू शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ ने साफ कहा कि एनएलयू नियमित स्टाफ लाए, नहीं तो हम अगली सुनवाई में फैसला लेंगे. कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख भी 31 अक्टूबर दी है. ​कल हुई सुनवाई के दौरान एनएलयू के अधिवक्ता ने  29 अगस्त 2023 को 'यूनिवर्सिटी में तय भुगतान पर कार्यवाहक वीसी और रजिस्ट्रार अनुबंध' शीर्षक से प्रकाशित खबर को तथ्य के रूप में पेश किया. इसके बाद कोर्ट ने यह आदेश जारी किया. कोर्ट का कहना है कि इस मामले को फैसले के लिए रखा जाना चाहिए.

नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली की प्रोफेसर सह रजिस्ट्रार डॉ. हरप्रीत कौर को जोधपुर एनएलयू का नया कुलपति बनाया गया है। कुलपति चयन समिति की अनुशंसा के आधार पर कुलाधिपति एवं राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एजी मसीह ने गुरुवार को उनकी नियुक्ति के आदेश जारी किये. उन्हें 5 साल के लिए इस पद पर जिम्मेदारी दी गई है. संभवत: वह सोमवार को कार्यभार संभालेंगी। एनएलयू की कुलपति प्रो.पूनम सक्सेना का कार्यकाल 15 जुलाई को पूरा हो गया था। चिंता की बात यह है कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जो कानूनी शिक्षा की अग्रणी यूनिवर्सिटी है, केवल संविदा शिक्षकों के भरोसे चल रही है। कोर्ट को बताया गया है कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद संशोधन के तौर पर कुछ नए नियम आए हैं, जिसमें 50% नियमित और 50% संविदा स्टाफ का प्रावधान है, लेकिन वह भी अभी तक लागू नहीं किया गया है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सिफारिशों के अनुसार केवल 10% संविदा कर्मचारी हो सकते हैं। एनएलयू एक उत्कृष्ट संस्थान है, इसलिए यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि लोग हर दिन आते-जाते रहेंगे, क्योंकि नौकरी संविदात्मक है। अब समय आ गया है कि व्यवस्था में सुधार किया जाए।