जोधपुर में एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को मिली मंजूरी, 1243 करोड़ की लागत से बदल जाएगी शहर की ट्रैफिक व्यवस्था
जोधपुर शहर की हाईलाइन के यातायात को सुगम बनाने के लिए वर्ष 2019 में शुरू की गई महत्वाकांक्षी परियोजना एलिवेटेड रोड शहर की राजनीति के केंद्र में रही है, लेकिन अब इसे मूर्त रूप देने का समय आ गया है। केंद्र सरकार ने जोधपुर शहर में 7.633 किलोमीटर लंबे फोर-लेन एलिवेटेड रोड के निर्माण के लिए 1243.19 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। यह एक ऐतिहासिक निर्णय है, जो न केवल राजस्थान के दूसरे सबसे बड़े शहर की यातायात व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, बल्कि वर्षों से चल रही राजनीतिक कूटनीति को भी समाप्त करेगा।
परियोजना की तकनीकी विशेषताएं और मार्ग विवरण
मुख्य संरचनात्मक विशेषताएं
प्रस्तावित एलिवेटेड कॉरिडोर महामंदिर जंक्शन से शुरू होकर आखलिया चौराहे के पास समाप्त होगा, जो जोधपुर शहर की हृदय रेखा के रूप में कार्य करेगा। यह परियोजना राष्ट्रीय राजमार्ग-62, राष्ट्रीय राजमार्ग-25 और राष्ट्रीय राजमार्ग-125 के साथ रणनीतिक संपर्क स्थापित करेगी, जो वर्तमान में जोधपुर शहर के केंद्र से गुजरते हैं। इस कॉरिडोर की निर्माण लागत 1243.19 करोड़ रुपए निर्धारित की गई है, जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) वहन करेगा। इस परियोजना में 8 प्रमुख और 20 छोटे जंक्शनों को एलिवेटेड लेवल पर क्रॉस करने का प्रावधान होगा, जिससे यातायात सुगम होगा। स्थानीय यातायात को सुगम बनाने के लिए 13 विशेष रूप से डिजाइन किए गए प्रवेश-निकास रैंप बनाए जाएंगे। दोनों दिशाओं में निरंतर स्लिप और सर्विस रोड के निर्माण से स्थानीय यातायात व्यवस्था को बाधित किए बिना मुख्य कॉरिडोर की कार्यक्षमता सुनिश्चित होगी।
मार्ग की विस्तृत योजना
एलिवेटेड रोड का मार्ग जोधपुर की हृदय रेखा से होकर गुजरेगा, जिसमें पावटा सर्किल से राइकाबाग बस स्टैंड की ओर दो लेन उतरेंगी। कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार के पास एलिवेटेड रोड का कनेक्शन होगा, जबकि पुरी तिराहा से रेलवे स्टेशन की ओर दो अतिरिक्त लेन का प्रावधान है। पांचवी रोड से बारहवीं रोड की दिशा में भी दो लेन की व्यवस्था की गई है, जो शहर के विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
जोधपुर शहर की बढ़ती आबादी और यातायात घनत्व के कारण मुख्य सड़कों पर जाम की गंभीर स्थिति बन गई है। एलिवेटेड रोड के निर्माण से यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा और ट्रैफिक जाम की समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा। जोधपुर की मुख्य सड़कों पर वर्तमान में हो रही देरी और ईंधन की बर्बादी में काफी कमी आने की उम्मीद है। इस परियोजना से न केवल अंतर-शहर यातायात में सुधार होगा, बल्कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर आने-जाने वाले भारी वाहनों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग भी उपलब्ध होगा। जोधपुर रिंग रोड से बेहतर कनेक्टिविटी से शहर के चारों ओर यातायात को समान रूप से वितरित करना संभव हो सकेगा।
परियोजना का राजनीतिक इतिहास और संघर्ष
जोधपुर एलिवेटेड रोड परियोजना को आधिकारिक तौर पर कांग्रेस सरकार के बजट 2019-20 में लॉन्च किया गया था, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसकी घोषणा की थी। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का काम राजस्थान सरकार के लोक निर्माण विभाग द्वारा शुरू किया गया था। प्रारंभिक चरण में, इस परियोजना की लागत लगभग 1100 करोड़ रुपये आंकी गई थी, जिसकी लंबाई 6.5 किमी और ऊंचाई 20 फीट थी। वर्ष 2019 में डीपीआर तैयार करने के लिए 2.5 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया था। हालांकि, राज्य सरकार को वित्तीय संसाधनों की चुनौती का सामना करना पड़ा, क्योंकि राज्य के पास इतनी बड़ी परियोजना के लिए पर्याप्त धन नहीं था।
भाजपा का हस्तक्षेप और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता (2020-2022)
स्थिति में महत्वपूर्ण मोड़ वर्ष 2020 में आया, जब राज्य सरकार के शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल ने एलिवेटेड रोड को “शारीरिक रूप से व्यवहार्य नहीं” बताते हुए अस्वीकार कर दिया। इस निर्णय के तुरंत बाद, भाजपा नेताओं, खासकर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से इस परियोजना की मांग की। दिसंबर 2020 में, नितिन गडकरी ने राजस्थान में विभिन्न परियोजनाओं के शिलान्यास समारोह में 1500 करोड़ रुपए की लागत से जोधपुर एलिवेटेड रोड की घोषणा की। यह कार्यक्रम राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृहनगर में केंद्र सरकार की सकारात्मक पहल को दिखाया, जबकि उनकी सरकार का रुख नकारात्मक था।
