Jodhpur मुआवजे में हो रही देरी, पीड़ित तोड़ रहे दम

जोधपुर न्यूज़ डेस्क, खानों में काम करने वाले मजदूरों का जानलेवा सिलिकोसिस बीमारी का सामना करना पड़ रहा है। इस बीमारी की वजह से कई मजदूर दुनिया छोड़कर जा चुके हैं। वहीं मुआवजा में देरी से कई पीडि़त दम तोड़ रहे है और कई मृतक मजदूरों के परिवारों का मुआवजे के इंतजार में गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो गया है। मुआवजे के लिए सरकार की ओर से सुनवाई नहीं होने से पीडि़त राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटा रहे है।
केस-1
सिलिकोसिस पीडि़त श्रमिक की विधवा संतोष को सिलिकोसिस नीति से प्रमाणित नहीं माने जाने पर पीडि़ता संतोष ने मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया। इस पर आयोग ने एक वर्ष पूर्व 23 मई 2022 को राज्य सरकार को संतोष को 5 लाख रुपए मुआवजा राशि भुगतान के आदेश दिए। इस पर सरकार की ओर से कोई राशि नहीं दी गई। इस पर खान मजदूर सुरक्ष अभियान ट्रस्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सामने प्रकरण रखा। इस पर आयोग ने राज्य सरकार को पीडि़ता को एक माह में 5 लाख रुपए भुगतान के आदेश दिए।
केस- 2
संत धाम रोड गुरों का तालाब जोधपुर निवासी दलाराम प्रजापत की मृत्यु सिलिकोसिस से हो गई। दलाराम की विधवा भूरी देवी ने भी राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष 25 अगस्त 2020 को केस दर्ज कराया था। इस पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार को 20 जुलाई 2022 से पहले मुआवजा राशि भुगतान का आदेश दिया था, लेकिन भूरी देवी को अभी तक कोई भुगतान नहीं किया गया और वह मुआवजा राशि का इंतजार कर रही है।
सरकार ने सिलिकोसिस विधवाओं को 2013 में सहायता राशि देना चालू किया हैं। सरकार ने सिलिकोसिस नीति से पहले वाले श्रमिकों को सिलिकोसिस प्रमाणित नहीं माना था, जबकि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार वे श्रमिक भी सिलिकोसिस पीडि़त चिन्हित हुए थे। ऐसे पीडि़तों व उनकी विधवाओं की सरकार सुनवाई नहीं कर रही है, इसलिए उनको हक दिलाने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।