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Jodhpur आरटीओ नाले का काम 20 साल बाद शुरू, अब नहीं भरेगा बारिश का पानी

 
Jodhpur आरटीओ नाले का काम 20 साल बाद शुरू, अब नहीं भरेगा बारिश का पानी

जोधपुर न्यूज़ डेस्क, जोधपुर  सरदारपुरा विधानसभा के अधीन आरटीआे नाले में बरसाती पानी की निकासी के रास्ते में आने वाली अड़चनों को दूर करने के बाद दो माह पूर्व नाले का निर्माण शुरू हो चुका है। पहले फेज में यूटिलिटी शिफ्टिंग का काम चल रहा है। यूटिलिटी शिफ्ट होने के बाद नाला निर्माण में तेजी आने की उम्मीद है। यह काम तय समय पर पूरा होता है तो वर्ष 2026 में मानसून में होने वाले जलभराव की समस्या से मुक्ति मिलने की उम्मीद है। नाले के निर्माण का काम आरयूआईडीपी कर रही है। आरटीआे नाले के निर्माण पर 100 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च होगी।

इसके पहले 20 साल में 5 प्लान बने, लेकिन एक भी प्लान धरातल पर नहीं उतर पाया। हर प्लान में किसी न किसी अड़चनों के चलते पिछले 20 साल से आरटीआे नाला जोजरी से नहीं जुड़ पाया। इसके कारण हर मानसून में बारिश का पानी खुली सड़क पर 2-2 फीट तक बहता है। इसके कारण बनाड़ से खोखरिया तक करीब 3 किमी लंबी सड़क गड्ढों में तब्दील हो जाती थी। 30 से 35 कॉलोनियों के लोग 20-25 दिनों तक जलभराव की समस्या से जूझते हैं, लेकिन अब नाला निर्माण शुरू होने के बाद 20 साल से होने वाले जलभराव से मुक्ति की

आरटीओ नाला दूर हुई सारी अड़चनें

मंडे मेगा स्टोरी }20 साल में 5 प्लान अटके थे, अब 105 करोड़ से आरयूआईडीपी ने आरटीओ नाला का निर्माण शुरू किया

फाइल फोटो

आरटीओ नाला अब जोधपुर-जयपुर राजमार्ग के एक तरफ बनेगा। फिलहाल यूटिलिटी शिफ्टिंग का काम हो रहा है। इसके बाद नाला निर्माण का कार्य तेजी पकड़ेगा। वर्ष 2026 में मानसून के पहले तक नाला निर्माण कार्य पूरा होने का दावा किया जा रहा है। जेडीए ने सड़क मरम्मत का काम भी शुरू कर दिया है।

तत्कालीन राज्य सरकार ने आरटीआे नाला व भैरव नाले के निर्माण के लिए 320.20 करोड़ रुपए की लागत का कार्यादेश जारी किया था। तब भैरव नाले का निर्माण तो चालू हो गया, लेकिन अलाइनमेंट व डिजाइन पर विवाद होने से आरटीओ नाला अटक गया। 7 किमी लंबे नाले के निर्माण पर 100 करोड़ से ज्यादा खर्च होंगे। अब अड़चनें दूर हुई और दो माह पहले ही निर्माण शुरू हो चुका है।

कार्यादेश जारी, डिजाइन अलाइनमेंट में विवाद

पांचवां प्रस्ताव

यही प्रस्ताव वर्ष 2019 में जेडीए ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भिजवाया था। इसका सर्वे भी करवाया, मुटाम भी लगाए गए थे, लेकिन आरटीआे से लेकर सारण आरआेबी तक कुछ खसरों की अवाप्ति अटकने से यह प्लान भी सिरे नहीं चढ़ पाया था। इसके बाद 80 फीट सड़क पर जगह को लेकर विवाद बढ़ने लगा तो जेडीए ने सड़क निर्माण कर प्लान को छोड़ दिया।

जमीन अवाप्ति अटकी, जेडीए ने भी हाथ खींचे

चौथा प्रस्ताव

2013-14 में तत्कालीन महापौर रामेश्वर दाधीच ने राजमार्ग के समानांतर 100 फीट चौड़ी सड़क बनाने का प्रपोजल बनाया। इसमें 80 फीट चौड़ी सड़क व 20 फीट चौड़ा नाला निकालने का प्लान बनाया था। इस प्लान को हाईकोर्ट ने बेहतर समाधान के रूप में स्वीकार कर लिया था, लेकिन जमीन अवाप्ति में तत्कालीन सरकार ने मदद से इनकार कर दिया। नेचुरल ढलान के कारण तकनीकी एक्सपर्ट ने भी ज्यादा उपयोगी बताया था।

80 फीट रोड, 20 फीट चौड़ा नाला, सरकार का इनकार

तीसरा प्रस्ताव

सुरक्षा को लेकर सेना के इनकार के बाद प्रशासन ने सेना को एक प्रपोजल भिजवाया था, जिसमें सेना की जमीन से नाला निकालने के प्लान में बदलाव किया गया। सेना की जमीन से निकलने वाले नाले को खुला निकालने की बजाय पाइप लगाकर निकालने का प्लान तैयार किया, यह प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय में अटका रहा। साथ ही सेना ने पानी की निकासी को भी पत्थर लगाकर बंद कर दिया, जिसके बाद से यह समस्या एकाएक बढ़ गई।

सेना की जमीन से कवर्ड नाला, पर सहमति नहीं

दूसरा प्रस्ताव

आरटीओ नाला लगभग 8 किमी लंबा है। फिलहाल 4.01 किमी पक्का बना हुआ है। प्रस्ताव में सेना की जमीन से नाला निकालना था। इसके लिए सेना की 1800 मीटर व निजी खातेदारों की 1 बीघा 13 बिस्वा जमीन अवाप्त करने की जरूरत थी। प्रपोजल बनाया तब 20 करोड़ अनुमानित लागत आंकी गई थी, लेकिन सेना की जमीन के बारे में फैसला नहीं होने से यह प्रपोजल आगे नहीं बढ़ पाया।