गौशालाओं से प्रदूषण पर हाईकोर्ट सख्त, CPCB अफसर तलब
राजस्थान हाइकोर्ट ने राज्य की कई गौशालाओं में फैल रहे प्रदूषण को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (RSPCB) के अधिकारियों को तलब करते हुए पूछा कि क्या गौशालाएं भी पर्यावरण प्रदूषण का कारण बन रही हैं? यदि हां, तो इसे रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं? कोर्ट ने केंद्र और राज्य को 10 दिसंबर तक विस्तृत जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।
जस्टिस की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि गौशालाओं के नाम पर पशुओं की सुरक्षा की पहल तो हो रही है, लेकिन यदि यही गौशालाएं आसपास के क्षेत्रों में वायु और जल प्रदूषण फैला रही हैं, तो यह गंभीर चिंता का विषय है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि धार्मिक आस्था या सामाजिक संवेदनाओं के कारण पर्यावरणीय नियमों की अनदेखी स्वीकार नहीं की जा सकती।
सुनवाई के दौरान दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया कि कई गौशालाएं गोबर और मूत्र के उचित निस्तारण की व्यवस्था नहीं कर रही हैं। इससे आसपास के क्षेत्रों में गंदगी फैल रही है, जल स्रोत दूषित हो रहे हैं और लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। याचिकाकर्ता ने बताया कि कई इलाकों में खुले में गोबर के ढेर और नालियों में गंदगी छोड़ी जा रही है, जिससे दुर्गंध और मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ रहा है।
कोर्ट ने कहा कि गौशालाओं में पशुओं की देखभाल के साथ-साथ स्वच्छता व्यवस्था भी सुनिश्चित करना आवश्यक है। यदि किसी संस्था को पशुपालन की अनुमति दी गई है, तो पर्यावरण सुरक्षा मानकों का पालन करना उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी है।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने CPCB के प्रतिनिधियों से पूछा कि क्या गौशालाओं को भी औद्योगिक या वाणिज्यिक श्रेणी की तरह प्रदूषण मानकों के तहत लाया जाना चाहिए? साथ ही यह भी पता लगाने को कहा कि क्या किसी राष्ट्रीय स्तर के अध्ययन में गौशालाओं के कारण होने वाले प्रदूषण का आकलन किया गया है?
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे बताएँ—
-
गौशालाओं के लिए प्रदूषण नियंत्रण के मानक क्या हैं?
-
क्या इन मानकों के उल्लंघन पर कोई कार्रवाई की गई है?
-
पर्यावरण-अनुकूल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए क्या मॉडल अपनाए जा रहे हैं?
अदालत ने अगली सुनवाई 10 दिसंबर के लिए निर्धारित की है और तब तक दोनों ही पक्षों से विस्तृत जवाब और कार्ययोजना पेश करने को कहा है।
हाईकोर्ट के इस सख्त रुख से उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में गौशालाओं के संचालन में पर्यावरण सुरक्षा को अधिक प्राथमिकता मिलेगी और शहरों तथा ग्रामीण इलाकों में प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित किया जा सकेगा।
