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Jodhpur नगर निगम उत्तर और दक्षिण के आयुक्तों को अवमानना नोटिस जारी

 
Jodhpur  नगर निगम उत्तर और दक्षिण के आयुक्तों को अवमानना नोटिस जारी
जोधपुर न्यूज़ डेस्क, जोधपुर  राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर में भारी बारिश के बाद उत्पन्न जलभराव और नागरिक समस्याओं के मामले में जिला प्रशासन और अन्य संबंधित अधिकारियों के उपेक्षापूर्ण रवैये पर गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रभावितों को खाद्यान्न और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए पूर्व में निर्देश देने का अर्थ यह नहीं था कि वे कलक्ट्रेट में भीख मांगने के लिए खड़े हों। यह जिमेदारी जिला प्रशासन की है कि वह स्वयं प्रभावित क्षेत्रों में जाकर सहायता प्रदान करे।न्यायाधीश श्रीचंद्रशेखर और न्यायाधीश कुलदीप माथुर की खंडपीठ ने दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कलक्टर, जोधपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) आयुक्त सहित नगर निगम उत्तर और दक्षिण के आयुक्तों को अवमानना नोटिस जारी किए हैं। अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी, उससे पहले सभी अफसरों को अपने शपथ पत्र दाखिल करने होंगे। 2015 से लगातार दिशा-निर्देशों के बावजूद बरसाती जल निकासी सिस्टम बेदम है।

रिपोर्ट कागजी और अविश्वसनीय

13 और 14 अगस्त को प्रकाशित खबरों के आधार पर हाईकोर्ट ने पूर्व में दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें प्रभावित परिवारों को फूड पैकेट, दूध जैसी बुनियादी खाद्य सामग्री वितरण को कहा था। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता स्वाति शेखर कोटवानी ने बताया कि 14 अगस्त के बाद भी शहर और उसके आसपास लगातार बारिश होती रही। जनजीवन ठप हो गया। लेकिन हैरानी की बात है कि प्रशासन ने अनुपालना रिपोर्ट में दावा किया है कि शहर में कोई भी परिवार प्रभावित नहीं हुआ। सरकार की ओर से कहा गया कि निगम प्रभारियों ने विभिन्न क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया, जिसमें कोई भी परिवार खाद्य, दूध और पीने के पानी के वितरण के लिए प्रभावित नहीं पाया गया।  खंडपीठ ने आश्चर्य जताया कि प्रभावित परिवारों को ऐसे तथाकथित निर्देशों की जानकारी कैसे हो सकती थी। अनुपालन रिपोर्ट कागजी कार्रवाई प्रतीत होती है और उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता। संबंधित अधिकारियों को अपने कर्तव्यों के उल्लंघन का दोषी ठहराया जाना चाहिए। जोधपुर जैसे शहर में हजारों गरीब और मजदूर रहते हैं, पालना रिपोर्ट में लिया गया यह रुख कि भारी बारिश से कोई परिवार प्रभावित नहीं हुआ, गंभीर निंदा योग्य है। लगभग एक दशक हो चुका है। शहर अभी भी भारी बारिश के दौरान समस्याओं से जूझ रहा है। एक दशक काफी लंबा समय है, जिसमें वैज्ञानिक अध्ययन करके एक आधुनिक प्रणाली विकसित की जा सकती थी।

● अगस्त 2024: भारी बारिश के कारण जोधपुर शहर में उत्पन्न स्थिति का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने नगर निगम और जोधपुर विकास प्राधिकरण से शहर की जल निकासी व्यवस्था के लेआउट प्लान की जानकारी देने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद, संबंधित अधिकारियों द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

● जुलाई 2016: कोर्ट ने कलक्टर, नगर निगम आयुक्त और जोधपुर विकास प्राधिकरण के आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का आदेश दिया था। जब यह जानकारी दी गई थी कि शहर के विभिन्न हिस्सों में जलभराव और पानी का जमाव हो रहा है।

● जुलाई 2015: अधिकारियों ने जल निकासी व्यवस्था को सुधारने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने के लिए समय मांगा था। इसके बावजूद कोई ठोस प्रगति नहीं हुई।

● सितंबर 2015: कोर्ट ने जोधपुर शहर के विभिन्न हिस्सों में जल निकासी की खामियों पर गंभीर चिंता व्यक्त की और नालों की सफाई के लिए ठेका जारी करने के बावजूद काम अधूरा रहने की बात कही।