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हाईकोर्ट की राहत के बाद आश्रम पहुंचा यौन शोषण का आरोपी आसाराम, इतने दिन तक मिली अंतरिम जमानत

 
हाईकोर्ट की राहत के बाद आश्रम पहुंचा यौन शोषण का आरोपी आसाराम, इतने दिन तक मिली अंतरिम जमानत 

नाबालिग से यौन शोषण के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहा आसाराम अंतरिम जमानत मिलने के बाद सोमवार देर रात आश्रम पहुंचा। आसाराम पाली रोड स्थित एक निजी अस्पताल में था। उसके आश्रम जाने की सूचना पर अस्पताल के बाहर समर्थकों की भीड़ जमा हो गई। बता दें कि आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट ने एक जुलाई तक जमानत दी है। सोमवार दोपहर दो बजे जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की हाईकोर्ट खंडपीठ में सुनवाई हुई। पीड़िता के वकील पीसी सोलंकी ने आसाराम की अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाए जाने का विरोध करते हुए कोर्ट में कुछ वीडियो क्लिप पेश की और उन पर सुप्रीम कोर्ट की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। वहीं आसाराम के वकील निशांत बोरदा ने इससे साफ इनकार करते हुए कोर्ट को बताया कि आसाराम ने कोई प्रवचन नहीं दिया।

क्या है हाईकोर्ट के आदेश में-
आसाराम ने अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाए जाने की मांग को लेकर 26 मार्च 2025 को आवेदन किया था।आसाराम के वकील निशांत बोरदा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 जनवरी को जारी विशेष अपील अनुमति और गुजरात हाईकोर्ट द्वारा जारी आदेश के आधार पर आदेश की प्रति कोर्ट के समक्ष पेश की। बोरदा ने कहा- गुजरात हाईकोर्ट ने आसाराम की मेडिकल स्थिति और अन्य संबंधित पहलुओं पर विचार करने के बाद अंतरिम जमानत की अवधि 30 जून 2025 तक बढ़ा दी है। इसी क्रम में गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार आसाराम को पहले दी गई अंतरिम जमानत अवधि भी बढ़ाई जानी चाहिए।

दूसरी ओर, शिकायतकर्ता के वकील पीसी सोलंकी ने दलील दी- आसाराम हाईकोर्ट द्वारा दी गई छूट का दुरुपयोग कर रहे हैं। वे न केवल शिष्यों से मिल रहे हैं, बल्कि प्रवचन भी दे रहे हैं। सोलंकी ने कुछ वीडियो क्लिपिंग और अखबारों की कटिंग का भी हवाला दिया। कोर्ट ने इन्हें भी रिकॉर्ड में रखा।पिछली सुनवाई (2 अप्रैल 2025) को कोर्ट ने आसाराम को शिकायतकर्ता द्वारा उठाई गई आपत्तियों के जवाब में हलफनामा पेश करने के निर्देश दिए थे। साथ ही, राज्य सरकार को शिकायतकर्ताओं द्वारा किए गए दावों के संबंध में अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे।

अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक चौधरी ने न्यायालय में उन दो कांस्टेबलों के बयानों की प्रति के साथ जांच रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि ये दोनों कांस्टेबल आसाराम के साथ थे, जबकि वह अंतरिम जमानत पर था। उन दोनों की गवाही के अनुसार आसाराम ने कोई प्रवचन नहीं दिया।हालांकि कांस्टेबलों के बयानों में आसाराम के कुछ शिष्यों से मिलने के मामले हैं, लेकिन इसे आसाराम द्वारा सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। आसाराम की ओर से एक हलफनामा भी दिया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से दावा किया गया है कि न तो कोई संगठित भाषण या प्रवचन दिया गया और न ही वह शिष्यों से समूह में मिला।जहां तक ​​आसाराम की मेडिकल स्थिति का सवाल है, गुजरात हाईकोर्ट ने इस पर गहराई से विचार किया है और यहां भी इसे दोहराने की जरूरत नहीं है।

अंतरिम जमानत 1 जुलाई तक बढ़ाई गई
सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आसाराम की अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग स्वीकार करते हुए अंतरिम जमानत 1 जुलाई 2025 तक बढ़ा दी है। पिछले आदेश में उल्लिखित अंतरिम जमानत की शर्तें और सुप्रीम कोर्ट के 7 जनवरी 2025 के आदेश भी लागू रहेंगे।जोधपुर के आश्रम में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को गुजरात के बाद अब राजस्थान हाईकोर्ट से भी राहत मिली है। कोर्ट ने उनकी अंतरिम जमानत की अवधि 1 जुलाई तक बढ़ा दी है।