हाईकोर्ट की फटकार के बाद जोधपुर में RCSAT की पूर्ण पीठ गठित, जिला एवं सत्र न्यायाधीश नंदिनी व्यास की तैनाती
राजस्थान हाईकोर्ट की लगातार फटकार और सख्त टिप्पणियों के बाद राज्य सरकार ने आखिरकार बड़ा कदम उठाते हुए जोधपुर स्थित राजस्थान सिविल सेवा अपीलेट अधिकरण (RCSAT) में पूर्ण पीठ का गठन कर दिया है। लंबे समय से लंबित इस गठन को लेकर हाईकोर्ट कई बार नाराजगी जता चुका था। अब कार्मिक (क-2) विभाग की ओर से जारी आदेश में जिला एवं सत्र न्यायाधीश नंदिनी व्यास का स्थानांतरण कर उन्हें RCSAT में सदस्य के रूप में तैनात कर दिया गया है।
राजस्थान सिविल सेवा अपीलेट अधिकरण राज्य कर्मचारियों के सेवा विवादों पर सुनवाई करने की प्रमुख संस्था है। लेकिन पिछले कई महीनों से इसका कामकाज बाधित हो रहा था, क्योंकि अधिकरण में पूर्ण पीठ मौजूद नहीं थी। जिसके चलते हजारों प्रकरण लंबित पड़े हुए थे और कर्मचारी लगातार न्याय से वंचित महसूस कर रहे थे। हाईकोर्ट ने इस स्थिति पर कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार से सवाल पूछा था कि जब संवैधानिक और प्रशासनिक ढांचे में अधिकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है, तो फिर इसकी कार्यक्षमता को बहाल करने में इतनी देरी क्यों की जा रही है।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कई बार टिप्पणी की थी कि सरकार की लापरवाही के कारण कर्मचारियों के अधिकारों का हनन हो रहा है और न्याय प्रणाली बाधित हो रही है। अदालत ने यह भी कहा था कि अधिकरण की निष्क्रियता प्रदेश के प्रशासनिक न्यायालय तंत्र की गंभीर कमी को दर्शाती है। इसके बाद सरकार पर दबाव बढ़ा और अंततः अधिकरण के गठन की प्रक्रिया को प्राथमिकता देते हुए तेजी से आगे बढ़ाया गया।
नवगठित पीठ के साथ अब अधिकरण की न्यायिक प्रक्रिया फिर से सुचारू होने की उम्मीद है। जिला एवं सत्र न्यायाधीश नंदिनी व्यास के अनुभव और न्यायिक दक्षता को देखते हुए उनकी नियुक्ति को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। व्यास ने अपने न्यायिक करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है और सेवा से जुड़े प्रकरणों को समझने में भी उनका अनुभव व्यापक बताया जाता है। उनकी तैनाती के बाद अधिकरण में लंबित मामलों की सुनवाई तेज होने की संभावना है।
कर्मचारी संगठनों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम देरी से सही, लेकिन कर्मचारियों के हित में महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि RCSAT का सक्रिय होना हजारों सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आएगा, जो वर्षों से अपने प्रकरणों के समाधान की प्रतीक्षा कर रहे थे।
वहीं कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से न केवल अधिकरण की विश्वसनीयता बहाल होगी, बल्कि न्यायिक प्रक्रियाओं पर लोगों का विश्वास भी मजबूत होगा। वे यह भी सुझाव दे रहे हैं कि सरकार को भविष्य में इस तरह की देरी से बचते हुए संवैधानिक संस्थाओं के गठन और संचालन में प्राथमिकता बरतनी चाहिए।
राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि अधिकरण के अन्य प्रक्रियात्मक कार्यों को भी शीघ्र पूरा किया जाएगा, जिससे इसकी कार्यक्षमता पूरी तरह से बहाल की जा सके। इससे स्पष्ट है कि हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणियों ने सरकार को सक्रिय किया और अब उम्मीद है कि अधिकरण नए सिरे से प्रभावी ढंग से कार्य करेगा।
