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MEHRANGARH FORT: जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में चीलों को खिलाने की वर्षों पुरानी है परंपरा, जानिए क्यों?

जोधपुर शहर का मेहरानगढ़ किला  इतिहास,परंपरा और रहस्य में डूबा हुआ है, सैकड़ों की तादाद में चील मेहरानगढ़ के तटों पर भोजन कर मिनटों में उड़ जाती हैं
 
 
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562 साल पुराना है जोधपुर का  मेहरानगढ़ किला; यह इतिहास, परंपरा और रहस्य से भी जुड़ा हुआ है। आज हम आपको यहाँ की परंपरा और रहस्य से परिचित कराएंगे। दोपहर 2-3 बजे के आसपास मेहरानगढ़ के तटों पर सैकड़ों चील मंडराने लगते हैं। जोधपुर निवासी लतीफ खान हाथ में बैग लेकर चीलो के पास पहुंचते  है। लतीफ जैसे ही अंदर पहुंचते है, चील खाना खाती है और चली जाती है। इनके भोजन  लिए विशेष रूप से मांस लाया जाता है। प्रतिदिन लगभग 20 किलो भोजन (मांस) खिलाया जाता है। सैकड़ों चील अपना पेट भरती हैं और मिनटों में उड़ जाती हैं। 

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मई 12, 1459, तबसे है चील और मेहरानगढ़ का विशेष संबंध

चील को खाना खिलाने के पीछे एक मान्यता है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में जब मेहरानगढ़ किले की नींव रखी जानी थी, तब मां दुर्गा का एक मंदिर बनाया गया था जहां चील आकर बैठी थी। गरुड़ को मां नवदुर्गा का एक रूप माना जाता है। प्राचीन काल में यह माना जाता है कि जब तक मेहरानगढ़ किले के ऊपर चील मंडराती है, तब तक किला कभी किसी का गुलाम नहीं होगा और शहर के निवासियों के लिए सौभाग्य का प्रतीक रहेगा । 12 मई,1459 को जब राव जोधा ने यहां एक किला बनाया था तबसे ही चील और मेहरानगढ़ आपस में  जुड़े हुए है। माना जाता है कि इनका जोधपुर के शाही परिवार की कुल देवी और दुर्गा देवी के अवतार करणी माता से गहरा संबंध है।

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ऐसा कहा जाता है कि जब राव जोधा 1456 में अपना खोया हुआ राज्य वापस पाने की योजना बना रहे थे, तो करणी माता उनके सपने में चीर के रूप में प्रकट हुईं। उन्होंने राव जोधा को सफलता का आशीर्वाद दिया और अपने खोए हुए राज्य को पुनः प्राप्त करने की अपनी रणनीति भी बताई। तब से इसे मारवाड़ की संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान मिला है। सदियों बाद भी यह परंपरा मेहरानगढ़ किले में जारी है। जोधपुर  मेहरानगढ़ किला की  शानदार वास्तुकला और विविध इतिहास के कारण गौरवान्वित महसूस करता है। इसे राजस्थान के सबसे शानदार किलों में से एक माना जाता है। राव जोधा का मेहरानगढ़ किला 5 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है और जोधपुर शहर के बाहर 125 मीटर ऊंची पहाड़ी पर बना है।