Jodhpur में हर महीने बनते हैं 200 करोड़ के बर्तन, 1 हजार वैरायटी उपलब्ध
जोधपुर न्यूज़ डेस्क, धनतेरस पर आज बर्तनों की जमकर खरीदारी होगी। आज के दिन सोने-चांदी के साथ ही स्टील का कोई भी आइटम खरीदना शुभ माना जाता है। अब भला स्टील की बात चले और जोधपुर का जिक्र न हो तो यह कैसे संभव है। यहां बनने वाले स्टील की बर्तनों की डिमांड देशभर में रहती है।यहां की फैक्ट्रियों में 1 लाख रुपए की कीमत तक के डिनर सेट भी मिल जाएंगे। एक हजार से ज्यादा तरह के बर्तन यहां बनाए जाते हैं। हर महीने 200 करोड़ रुपए से ज्यादा के स्टील के बर्तन बनाए जाते हैं।
धनतेरस के पर्व पर जानिए कैसे जोधपुर के स्टील के बर्तनों ने देश में अपनी पहचान बनाई...
राजलक्ष्मी ग्रुप के ओनर और राजस्थान स्टेनलेस स्टील यूटेंसिल्स मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के सचिव राजेश जीरावाला ने बताया- 80 प्रतिशत प्रोडक्ट नॉर्थ इंडिया में सप्लाई होता है। यूपी, बिहार, हरियाणा, पंजाब और जोधपुर से ही बर्तन सप्लाई होते हैं। अब विदेशी कंट्री यूटेंसिल्स में भारत की ओर देख रही हैं। आने वाले समय में जोधपुर से अच्छा एक्सपोर्ट होगा। जोधपुर से चेन्नई, केरला, बंगाल, आसाम, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में बर्तनों की सप्लाई होती है।
सोने की तरह चमक रहे स्टील के बर्तन, कीमत 80 हजार से 1 लाख रुपए
यहां चम्मच से लेकर स्टील की बड़ी-बड़ी कोठी तक आपको मिल जाएगी। यहां के सबसे खास डिनर सेट हैं। इन डिनर सेट की खास बात ये है कि इन्हें इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें आपको कटोरी, गिलास और चम्मच रखने तक का अलग से स्पेस मिल जाएगा।इन सब में खास है गोल्ड प्लेटेड डिनर सेट। इसकी डिमांड हाई प्रोफाइल लोगों में ज्यादा है। इसकी कीमत भी रूटीन स्टील बर्तनों से ज्यादा रहती है। स्टील की कई परतों तक कलर करके उसे सोने जैसा चमकीला बनाकर उसके बर्तन बनाए जा रहे हैं। इसमें लेजर से कलाकारी कर और खूबसूरत बनाया जाता है। सोने की तरह चमक वाले बर्तन के अलावा डायमंड और क्रॉस कट के बर्तन भी काफी डिमांड में रहते हैं।
80 हजार से 1 लाख तक का डिनर सेट
राजेश जीरावाला ने बताया- जोधपुर में सबसे महंगे बर्तन में स्टील क्राफ्ट का गोल्ड कलेक्शन है। इसमें अलग-अलग थाली सेट से लेकर पूरा डिनर सेट तक आता है। डिनर सेट में 82 पीस होते हैं, जो करीब 80 हजार से 1 लाख के बीच तक पड़ता है। इसके अलावा कॉपर प्लेटेड आइटम भी नॉर्मल स्टील आइटम से कीमत में ज्यादा होते हैं।
थ्री लेयर टिफिन भी हो रहे तैयार
जीरावाला बताते हैं- सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाले कुक टॉप की रेंज भी जोधपुर की स्टील इंडस्ट्री में तैयार हो रही है। इसमें थ्री लेयर नॉन टॉक्सिक सभी कुकिंग के लिए सूटेबल रहती है। कड़ाही में कॉपर बॉटम भी काफी डिमांड में रहता है। ऑफिस यूज के लिए कॉपर टिफिन व कॉपर की वाटर बॉटल की भी डिमांड है। यूरो कुक वेयर थ्री पीस सेट, मल्टी कड़ाही कॉम्बी पैक, ट्राई प्लाई कड़ाही की डिमांड है। इसमें अब इनोवेशन कर कॉपर भी एड किया गया है। हाई क्वालिटी स्टेनलेस स्टील से बने बर्तन होने से पहली पसंद बना हुआ है।
चीन में बनने वाली कड़ाही जोधपुर में बनने लगी
चीन में बनने वाली थ्री ट्राई प्लाई कड़ाही अब जोधपुर में भी बनने लगी है। जीरावाला ने बताया- इसकी वजह से चाइना से 3 हजार करोड़ का इम्पोर्ट कम हो गया। अब ट्राई प्लाई कुक वेयर जो कि चीन में बनते थे अब वह जोधपुर में पहली बार बनाने जा रहे हैं। ट्राई प्लाई में नीचे लोहा एल्युमीनियम व स्टील की तीन लेयर होती है। ऐसे बर्तन गैस के साथ इंडक्शन (इलेक्ट्रिक चूल्हे) में काम आ जाते हैं।जीरावाला ने बताया कि उन्हाेंने देश का पहला वैक्यूम फ्लास्क टेक्नोलॉजी का प्लांट 2018 में जोधपुर में नैनोबोट के नाम से लगाया था। अब भारत में 20 से अधिक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हो गई है। वैक्यूम टेक्नोलॉजी में बोतल में 24 घंटे तक पानी जिस कंडीशन में डालो वैसा रहता है।
बिना खदान स्टील का बड़ा हब
जोधपुर में (पाटा-पट्टी) रॉ मटेरियल की 80 से ज्यादा फैक्ट्री हैं। 100 से ज्यादा फैक्ट्रियों में बर्तन बनते हैं। जोधपुर में स्टील की कोई खान नहीं है। इसके बाद भी देश भर में स्टील की मांग का लगभग एक तिहाई से ज्यादा स्टील की पाटा-पट्टी और बर्तन का निर्माण यहां होता है।
जोधपुर में 1975 में स्टील की पाटा-पट्टी बनाने का काम शुरू हुआ था
एसआरएम एलॉय प्राइवेट लिमिटेड के ऑनर घनश्याम ओझा ने बताया- जोधपुर में 1975 में स्टील की पाटा-पट्टी (स्टील की चादर) बनाने का काम शुरू हुआ था। 1981 में उन्होंने अपनी फैक्ट्री की शुरुआत की थी। एक समय ऐसा था कि पाटा-पट्टी में देश भर में जोधपुर की मोनोपॉली थी। धीरे-धीरे कोयला आने पर पाटा-पट्टी की डिमांड कम हुई है। जोधपुर में स्टील की चादर की मैन्युफैक्चरिंग और बढ़ सकती है। इसके लिए सरकार जमीन उपलब्ध करवाए।घनश्याम ओझा के बेटे कैलाश ओझा का कहना है- 10 साल पहले हमने बर्तन बनाने की इंडस्ट्री में कदम रखा था, क्योंकि पाटा-पट्टी यही बन रही थी। भारत में बर्तन एक लाख टन के आस-पास बनता है और अधिकतर पाटा-पट्टी से बनता है। त्योहार और शादी के सीजन में बर्तन की डिमांड बढ़ जाती है।
कॉयल से बनने लगे बर्तन
अब मार्केट में रॉ मटेरियल के अलावा कॉयल से भी बर्तन बनने लगे हैं। कॉयल स्टील की चादर को कहते हैं। यह पाटा-पट्टी से पतली और चौड़ी होती है। बड़ी मशीन से स्टील के टुकड़ों को एक साइज में चद्दर बनाकर सप्लाई किया जाता है। यह पाटा-पट्टी से कॉस्ट में 50 रुपए ज्यादा होती है। इससे बर्तन एक यूनिफॉर्म में बनते हैं और चमक ज्यादा रहती है। रॉ मटेरियल का नया विकल्प आने से प्रोडक्शन पर इफेक्ट पड़ा है।