कौन है कृष्णा किशोरी जिनके मुंह से महज 7 साल की उम्र में निकल रही 'वेदवाणी' ? बिना पुस्तक के करती है कथा

महज सात साल की उम्र में कृष्णा किशोरी व्यास भक्तों को नानी बाई की मायरो कथा सुना रही हैं। बिना किसी झिझक या संकोच के कथा सुनाने वाली कृष्णा को सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। वह अभी दूसरी कक्षा में अध्ययनरत हैं।1 फरवरी 2018 को सीकर जिले के फतेहपुर शेखावाटी शहर में पिता महेश व्यास व माता ज्योति व्यास की चौथी संतान के रूप में जन्मी कृष्णा व्यास ने पहली बार 9 मई 2024 को नानी बाई की मायरो कथा शुरू की थी। तब उनकी उम्र करीब 6 साल 3 महीने थी।
फतेहपुर शेखावाटी के लक्ष्मीनाथजी मंदिर में आयोजित इस समारोह में जब उन्होंने पहली बार कथा सुनाई तो भक्तों के साथ संत भी मंत्रमुग्ध हो गए। इसके बाद वे रसूलपुर, सीकर, ठेलासर, गोल्याणा समेत कई स्थानों पर नानी बाई की मायरो कथा सुना चुकी हैं।हर बार 3 दिन तक चलने वाली इस कथा में कृष्ण किशोरी व्यास हर दिन 4 घंटे कथा सुनाती हैं। इस दौरान वह बिना किताब देखे कथा सुनाती हैं। कथा में प्राप्त साड़ियां, कपड़े और प्रसाद वह अपने पास नहीं रखतीं, बल्कि जरूरतमंद लोगों में बांट देती हैं।
अब वह भागवत कथा सुनाएंगी
कृष्ण किशोरी व्यास पिछले 6 महीने से वृंदावन के रैवासा धाम के पीठाधीश्वर राजेंद्रदास महाराज के सानिध्य में भागवत कथा सीख रही हैं। वह 4 साल की उम्र से ही भगवान कृष्ण को चाचा और राधेरानी को चाची कहती है। उसकी पहली भागवत कथा 14 से 21 सितंबर 2025 तक फतेहपुर में होगी।
शंकराचार्य ने दो घंटे मंच पर बैठाया
महेश व्यास अक्टूबर 2024 में अपनी बेटी कृष्ण किशोरी व्यास और परिवार के साथ वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर गए थे। इस दौरान गो प्रतिष्ठा आंदोलन के समापन समारोह में आए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने छोटी बच्ची को करीब 2 घंटे तक अपने साथ मंच पर बैठाया। उन्होंने यह भी कहा कि यह बच्ची दिव्य है। कृष्ण किशोरी व्यास रोजाना सुबह 1 घंटे पूजा-अर्चना के बाद अपनी दिनचर्या शुरू करती हैं। वह रोजाना रामायण, महाभारत, भगवान कृष्ण और महादेव से जुड़ी घटनाओं के वीडियो देखती हैं और दिनभर भागवत कथा का अभ्यास करती हैं।
दादा ने लिखे हैं गीत और दिया है संगीत
कृष्ण किशोरी व्यास के दादा बनवारीलाल व्यास नानी बाई की मायरो कथा सुनाया करते थे। उन्होंने प्रसिद्ध राजस्थानी फिल्म नंद भोजाई के सभी 10 गीत लिखे और संगीतबद्ध किए। 2005 में उनका निधन हो गया, लेकिन उनके द्वारा सुनाई गई कहानियों की रिकॉर्डिंग घर में नियमित रूप से बजती रहती है। फरवरी 2024 में परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर भोजन कर रहे थे। उस दौरान बालिका कृष्णा ने दादा द्वारा गाए गए भजन गुनगुनाना शुरू कर दिया। जिस पर परिवार के सदस्यों ने हारमोनियम और तबला ढोलक मंगवाकर कृष्णा से दोबारा भजन गाने को कहा तो उसने पूरे सुर और लय में सभी 20 भजन गाए।