थाईलैंड में नौकरी का सपना दिखाकर बर्बाद की जिंदगी, साइबर ठगी से मुक्त हुए युवा ने सुनाई दहला देने वाली कहानी

झुंझुनू न्यूज़ डेस्क - म्यांमार-थाईलैंड सीमा पर स्थित मायावाड़ी इलाका पिछले कुछ सालों से साइबर अपराधियों का अड्डा बना हुआ था। यहां से ऑनलाइन ठगी के बड़े नेटवर्क संचालित किए जाते थे। जहां लोगों को बंधुआ मजदूरों की तरह रखा जाता था। पैसे कमाने के लिए कई युवा इन साइबर ठगों का शिकार बन चुके हैं। अब थाईलैंड की सीमा पर म्यांमार के घने जंगलों में चल रहे साइबर ठगी के ठिकानों से गुलामी की जिंदगी जी रहे लोगों को निकालकर उनके देश भेजा जा रहा है। गत 10 व 11 मार्च को दो चरणों में 540 भारतीयों को भी देश वापस लाया गया है। इनमें 25 से 30 युवा राजस्थान के हैं। अब तक नौ ऐसे युवा सामने आए हैं जो झुंझुनूं जिले के हैं। म्यांमार साइबर ठगी की गुलामी से छूटकर घर लौटे युवा अभी भी दहशत में हैं। उन्होंने बताया कि किस तरह से उन्हें लड़की बताकर अमेरिका व यूरोपीय देशों के लोगों से चैटिंग कराई जाती थी और बाद में चीनी व ताइवान के लोग उनसे ठगी करते थे।
ठगी का शिकार होकर लौटा युवक
युवक ने बताया कि जब उसने सोशल मीडिया पर नौकरी की तलाश की तो उसे एक अनजान व्यक्ति की ओर से थाईलैंड में नौकरी का ऑफर मिला। वह जयपुर और मुंबई होते हुए थाईलैंड पहुंचा। वहां कुछ लोगों ने उसे कंपनी प्रतिनिधि के नाम पर अपने साथ लिया और म्यांमार ले गए। वहां चीनी और ताइवान के लोगों ने युवक को साइबर ठगी करने के लिए मजबूर करना शुरू कर दिया। उसे सोशल मीडिया के जरिए अमेरिका और यूरोपीय देशों के लोगों को प्रेम जाल में फंसाने की ट्रेनिंग दी गई।
उसने बताया कि काम न करने पर उसे प्रताड़ित किया जाता था। मामला तब प्रकाश में आया जब एक चीनी अभिनेता वांग जीना के अपहरण के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने म्यांमार में छापेमारी शुरू कर दी। जिसमें कई देशों के हजारों लोगों को साइबर ठगी के ठिकानों से मुक्त कराया गया। इनमें भारत के भी अब तक 540 लोग मुक्त कराए जा चुके हैं।
अच्छी नौकरी का लालच देकर कराते हैं साइबर क्राइम
म्यांमार से लौटे युवक ने बताया कि उसे हर महीने 40 हजार भारतीय रुपये वेतन देने का वादा किया गया था। लेकिन वहां उसे जो काम बताया गया, उसे सुनकर वह दंग रह गया।