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Jhunjhunu नवलगढ़ रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को सुविधाओं का इंतजार

 
Jhunjhunu नवलगढ़ रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को सुविधाओं का इंतजार

झुंझुनू न्यूज़ डेस्क, कहने को तो सरकारी रिकॉर्ड में नवलगढ़ को हेरिटेज सिटी का दर्जा मिला हुआ है। झुंझुनूं के बाद जिले का सबसे बड़ा शहर नवलगढ़ है। लेकिन आज भी नवलगढ़ के लोग रेलवे स्टेशन पर आधारभूत सुविधाओं की बाट जोह रहे हैं। नवलगढ़ रेलवे स्टेशन पर 2 प्लेटफॉर्म बने हुए हैं। लेकिन एक प्लेटफॉर्म से दूसरे पर जाने के लिए फुट ओवर ब्रिज नहीं है। इसी कारण रोजाना सैकड़ों रेल यात्रियों को पटरी पार करना पड़ता है। जबकि रेलवे अधिनियम 1989 की धारा 147 के तहत पटरी पार करने पर 6 माह की कैद या 1 हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है।

ब्रॉडगेज से जुड़ा, सुविधाओं में पिछड़ा

नवलगढ़ के रेलवे स्टेशन से बड़ी संया में लोग दूर दराज के शहरों में जाने व आने के लिए रेल यात्रा करते हैं। साथ ही बड़ी संया में नवलगढ़ में देसी व विदेशी पर्यटक भी आते हैं। हाल ही में नवलगढ़ रेलवे स्टेशन ब्रॉडगेज से जुड़ा, रेल लाइन का विद्युतीकरण भी हुआ। लेकिन यात्री सुविधाओं के नाम पर नवलगढ़ रेलवे स्टेशन पर कोई खास कार्य नहीं किया गया है। जबकि शेखावाटी में सीकर, झुंझुनूं, रींगस, फतेहपुर जैसे रेलवे स्टेशनों पर करोड़ों रुपए खर्च कर विकास किया जा रहा है।

रोजाना यात्रियों को पार करनी पड़ती है पटरियां

नवलगढ़ रेलवे स्टेशन पर दोपहर 1.16 बजे जयपुर बठिंडा सवारी गाड़ी संया 04704 पहुंचती है। इसके 8 मिनट बाद बठिंडा से जयपुर जाने वाली सवारी गाड़ी संया 04703 का 1.24 बजे नवलगढ़ रेलवे स्टेशन पर आगमन होता है। दोनों गाडिय़ों की क्रॉसिंग नवलगढ़ में ही होती है। अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर एक साथ रेल गाडिय़ां खड़ी होने के कारण रेल की बोगियों में से निकल कर जान जोखिम में डालकर यात्री पटरियां पार करके दूसरे प्लेटफॉर्म पर पहुंचते हैं। खासकर बुजुर्ग, दिव्यांग व महिला यात्रियों के लिए पटरियां पार कर दूसरे प्लेटफॉर्म पर पहुंचना बहुत ही जोखिम भरा होता है। 2 नंबर प्लेटफॉर्म पर रेलगाड़ी से उतरकर नवलगढ़ आने वाले यात्रियों को पटरियां पार करके ही आना पड़ता है। यह सिलसिला नवलगढ़ में करीब 1 वर्ष से चल रहा है।

ज्यादा कोच वाली ट्रेनों के लिए छोटा पड़ता है प्लेटफार्म

नवलगढ़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म की लंबाई 15-16 कोच तक की ट्रेन जितनी ही है। लेकिन नवलगढ़ रेलवे स्टेशन आने वाली लालगढ़ बीकानेर-प्रयागराज ट्रेन में करीब 23 कोच लगे हुए होते हैं। इसके अलावा कोटा-हिसार ट्रेन में 22-23 कोच लगे होते हैं, हिसार-तिरूपति ट्रेन में भी 18-19 कोच जुड़े होते हैं। ऐसे में जब यह रेलगाडिय़ा नवलगढ़ रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर आकर रुकती हैं तो पीछे की तरफ जुड़े 7-8 कोच जिनमें जनरल कोच भी होते हैं प्लेटफॉर्म से पीछे ही रह जाते हैं। ऐसे में बुजुर्ग, महिला व दिव्यांग रेल यात्रियों के लिए इन 7-8 कोच चढऩा व उतरना बहुत मुश्किल या यूं कहें कि असंभव हो जाता है। साथ ही प्लेटफॉर्म की ऊंचाई कम होने के कारण यात्रियों को प्लेटफॉर्म से 3 सीढिय़ा चढक़र रेलगाड़ी में प्रवेश करना पड़ता है। प्लेटफॉर्म पर कोच इंडिकेटर की भी मांग लंबे समय से चल रही है।