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Jhunjhunu कभी औषधीय पौधों की खान था बीड़ वन क्षेत्र, गंदे पानी के भराव से नष्ट

 
Jhunjhunu कभी औषधीय पौधों की खान था बीड़ वन क्षेत्र,  गंदे पानी के भराव से नष्ट
झुंझुनू न्यूज़ डेस्क, झुंझुनू रिजर्व कंजर्वेशन घोषित बीड़ वन क्षेत्र कभी औषधीय पौधों की खान हुआ करती थी। लेकिन लगातार बीड़ में जमा हुए गंदे पानी की वजह ने इन्हें नष्ट कर दिया। करीब 1047.48 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले बीड़ में अब औषधीय पौधे के रूप में केवल जाळ के पेड़ ही नजर आते हैं। इनकी संख्या भी लगातार कम होती जा रही है। अन्य औषधीय पौधों का तो नामोनिशान तक मिट गया है। बीड़ में कई सालों पहले यहां पर तुलसी, अश्वगंधा, कालमेघ , गिलोय समेत अन्य औषधीय पौधे मिलते थे। लेकिन धीरे-धीरे लगातार यहां पर गंदा पानी जमा होने से ये नष्ट हो गए।

इन पौधों को तैयार करने की थी योजना, सिरे नहीं चढ़ी

वन विभाग की ओर से बीड़ में सफेद चंदन, लाल चिरमी, काली चिरमी, गुगल, अश्वगंधा, अर्जुन, वज्रदंती, धतुरा, शतावरी, गिलोय, तुलसी, आंवला, सीताफल, अरिठा, नीम, शहजना, पत्थर चट्टा आदि औषधीय पौधे लगाने की योजना थी। लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ पाई। हालांकि वन विभाग ने इनमें कुछ पौधे तैयार कर लोगों को तो वितरित किए गए थे। लेकिन इन्हें बीड़ वन क्षेत्र में लगाया नहीं। वन विभाग को यहां पर औषधीय पौधे लगाने की दिशा में काम करना चाहिए। बीड़ वन क्षेत्र में पहले तुलसी, अश्वगंधा, कालमेघ, गिलोय आदि औषधीय पौधे उगते थे। लेकिन धीरे-धीरे ये नष्ट हो गए। अब केवल जाळ का पेड़ ही बहुतायत संख्या में है। पिछली बार हमनें नर्सरी में पौधे तैयार कर वितरित भी किए थे।अब केवल औषधीय पौधे जाळ यानी पीलू के पेड़ पर यहां गर्मियों में ज्येष्ठ के महीने में पीलू फल बड़ी तादाद में लगते हैं। इसे स्थानीय स्तर पर लोग शेखावाटी का मेवा भी कहते हैं। जाळ के पेड़ की टहनियों पर लगने वाले पीलू के फल अपनी अलग ही छटा बिखरते हैं। लाल, हरे, पीले एवं बैंगनी रंग के इस फल के स्वाद के साथ गर्मी के मौसम में इसे खाने से गर्मी में लू से बचाव होता है।