Jhunjhunu आठ दिन पहले कार में जल कर मरने वाला फौजी नहीं मजदूर था
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झुंझुनू न्यूज़ डेस्क, होली के दिन कार में जिंदा जलकर मरने वाला सेना का जवान विकास नहीं था। घटना के आठ दिन बाद इसका खुलासा हुआ है। विकास सोमवार सुबह पुलिस को अपने घर में बेसुध मिला। पुलिस उसे इलाज के लिए झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल लेकर आई। जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। विकास की मौत के बाद परिजन ने सोमवार को फिर से उसका अंतिम संस्कार किया। पूर्व में 25 मार्च को किए गए अंतिम संस्कार के बाद ली गई अस्थियों को अब महेश मेघवाल की मानते हुए परिजन को सौंपा गया है।
विकास के पिता ने दी पुलिस को सूचना
24 मार्च से फरार चल रहा फौजी विकास भास्कर सोमवार सुबह अपने घर पहुंचा। इसके बाद विकास के पिता रामकुमार ने सुबह 6.29 बजे मुकुंदगढ़ थाने में फोन करके सूचना दी कि विकास थोड़ी देर पहले घर आ गया और वह बेसुध अवस्था में हैं। सूचना पर मुकुंदगढ़ एसएचओ पुलिस टीम के साथ डूंडलोद विकास के घर पहुंचे। वहां से विकास के मामा सुभाष, बड़ा भाई किशोर व एक दो अन्य परिजन निजी कार में विकास को लेकर पुलिस के साथ मुकुंदगढ़ थाने पहुंचे और हाथोंहाथ थाने के सामने स्थित राजकीय अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया जहां से हालात ठीक नहीं होने के कारण चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद विकास को झुंझुनूं के लिए रेफर कर दिया।
महेश के परिजन ने किया अंतिम संस्कार का विरोध
विकास के परिजन सोमवार को उसका शव डूंडलोद लेकर पहुंचे और अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे तो महेश के परिजन, ग्रामीण व भीम सेना के कार्यकर्ताओं सहित बड़ी संख्या में लोग अंतिम संस्कार रोकने के लिए पहुंचे। इन लोगों ने महेश के परिवार को 1 करोड़ का मुआवजा व परिवार के 1 व्यक्ति को सरकारी नौकरी दिलवाने की मांग रखी। डीवाईएसपी मनोज गुप्ता के नेतृत्व में नवलगढ़ सीआई अशोक चौधरी, मुकुंदगढ़ एसएचओ महेंद्रसिंह सहित पुलिस जाप्ते ने इन लोगों को मुक्तिधाम से कुछ दूर पहले रोक कर समझाइश की। इसके बाद महेश के परिजन मान गए और 24 तारीख को अंतिम संस्कार किए गए व्यक्ति की अस्थियां महेश की भतीजी सुनिता को सौंप दी गई।