Jhunjhunu भगवान के पास नहीं है बैंक खाता, कैसे मिले मंदिर माफी की जमीन पर लाभ

झुंझुनू न्यूज़ डेस्क, झुंझुनू राजस्व विभाग के द्वारा सरकार की योजनाओं व मुआवजे के लिए संबंधित किसान का आधार कार्ड व बैंक पास -बुक की फोटो कॉपी, जमाबंदी की नकल व किसान के फोन नंबर लिए जा रहे हैं। इसलिए मंदिर माफी भूमि में कागजी कार्रवाई के अभाव में खराब हुई फसलों का मुआवजा सहित सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। राज्य सरकार ने 30 अक्टूबर 2022 को एक आदेश जारी कर कहा कि मंदिर माफी की जमीन पर पुजारी का अधिकार होगा। साथ ही पुजारी इसमें बिजली कनेक्शन, पेयजल कनेक्शन लगवाने का अधिकारी होगा। वहीं फसल खराब होने पर अनुदान का अधिकारी भी पुजारी को ही बनाया गया। साथ ही मंदिर के नाम बैंक खाते होने पर पुजारी इसका उपयोगकर्ता होगा।
लेकिन पुजारियों का आरोप है कि राज्य सरकार के आदेश की पालना आज तक धरातल पर नहीं हुई। जानकी वल्लभ मंदिर पुजारी मुरारीलाल चोटिया, गोपाल जी मंदिर पुजारी रामअवतार बड़ाडरा, गोपीनाथ मंदिर पुजारी अशोक दास स्वामी सहित अन्य पुजारियों ने बताया कि मंदिर पुजारियों का नाम मंदिर भूमि में ऑनलाइन नहीं होने के कारण पुजारियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। भूमि में खराब हुई फसलों के मुआवजे व सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। तहसील कार्यालय में जाते हैं तो वहां पुजारी रजिस्टर भी नहीं मिलता है।
भगवान के नाम पर कई हेक्टेयर जमीन है। हर वर्ष पुजारी खरीफ व रबी की फसल की खेती करते हैं। वहीं पुजारी गिरधारी लाल शर्मा, अशोक दास स्वामी सहित अन्य का कहना है कि खेत में फसलों का सरकार द्वारा बीमा भी नही किया जाता है। इससे अतिवृष्टि या किसी भी आपदा में फसल को नुकसान होने पर उन्हें फसल बीमा राशि का भुगतान नहीं होता है। वहीं मंदिर भूमि पर सहकारी बैंक द्वारा खेती के लिए फसली ऋण बैक के माध्यम से कृषि ऋण भी नहीं मिलता है। मंदिर भूमि पर खेती करने वाले पुजारियों को प्रधान मंत्री सम्मान निधि सहित अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिलता। इसको लेकर पुजारी सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं। सभी तहसील कार्यालयों में पुजारी रजिस्टर खुलवा दिया गया है। 1991 से लेकर आज तक पुजारियों और उनके उत्तराधिकारीयों के नाम तहसील स्तर पर अपडेट किए जा रहे हैं। इस आदेश के अनुसार पुजारियों और उनके उत्तराधिकारीयों को मंदिर जमीन की खरीद, बिक्री और रहन करने का अधिकार नहीं होगा। पुजारी केवल भूमि का प्रबंधन कर सकेगा। मंदिर के नाम बैंक खाता होने पर पुजारी इसका संचालन व उपयोगकर्ता बनाया जा सकेगा। वहीं मंदिर पुजारी कल्याण के लिए व मंदिर भूमि विकास के लिए सरकार के द्वारा अलग - अलग समय में निकाले गए दिशा-निर्देश के लिए सरकार को लिखित रूप से पत्र भेजकर सभी नियम को एक प्रपत्र में बनाकर जारी करने की मांग की है। इस से पुजारियों को सुविधा हो सके व योजनाओं का लाभ मिल सके।