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राजस्थान में डिजिटल अरेस्ट का बड़ा मामला! 3 महीने में महिला प्रोफेसर से ठगे करोड़ों रूपए, CBI जांच में हुआ सनसनीखेज खुलासा

 
राजस्थान में डिजिटल अरेस्ट का बड़ा मामला! 3 महीने में महिला प्रोफेसर से ठगे करोड़ों रूपए, CBI जांच में हुआ सनसनीखेज खुलासा 

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने डिजिटल अरेस्ट साइबर धोखाधड़ी मामले में चार आरोपियों के खिलाफ राजस्थान के झुंझुनू में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आरोप पत्र दाखिल किया है। मामला मूल रूप से राजस्थान पुलिस द्वारा दर्ज किया गया था, जिसे बाद में राजस्थान सरकार के निर्देश पर सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था। राजस्थान सरकार के निर्देश पर सीबीआई ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली। जांच के दौरान सीबीआई ने पाया कि साइबर अपराधियों ने एक प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान के प्रोफेसर को निशाना बनाया। अपराधियों ने कानून प्रवर्तन एजेंसी के अधिकारी के रूप में पीड़ित को "डिजिटल रूप से गिरफ्तार" करने की धमकी दी। अक्टूबर 2023 से जनवरी 2024 के बीच आरोपियों ने धमकी और धोखाधड़ी के जरिए पीड़ित से 7.67 करोड़ रुपये की रकम ठगी। पीड़ित एक प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान में प्रोफेसर है।

ऑपरेशन चक्र के जरिए की गई कार्रवाई
जांच के दौरान सीबीआई को महत्वपूर्ण सुराग मिले और ऑपरेशन चक्र-V के तहत साइबर अपराध नेटवर्क पर चल रही कार्रवाई के तहत देश भर में कई जगहों पर व्यापक तलाशी ली गई। इन तलाशियों के परिणामस्वरूप आरोपियों के खिलाफ महत्वपूर्ण आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई। अब तक के निष्कर्षों के आधार पर, मामले के सिलसिले में कुल आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। कानून के तहत गिरफ्तारी की तारीख से 60 दिनों की वैधानिक समय सीमा के भीतर चार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है, जबकि शेष चार आरोपियों के खिलाफ जांच जारी है। गिरफ्तार किए गए सभी आठ व्यक्ति फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

सीबीआई भारत की सीमाओं के भीतर और बाहर संचालित संगठित साइबर अपराध सिंडिकेट की गहन जांच और उन्हें खत्म करने और यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ है कि इस तरह के दुर्भावनापूर्ण नेटवर्क को निष्पक्ष और निष्पक्ष कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से न्याय के कटघरे में लाया जाए।

सीबीआई ने इस मामले में गहन जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत जुटाए हैं और आरोप पत्र दायर किया है। आरोप पत्र में शामिल आरोपियों में विकास कुमार, राजपाल सिंह, नितिन सुथार और संतोष गुप्ता शामिल हैं।यह मामला साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौती को दर्शाता है, जहां अपराधी नई तकनीकों का इस्तेमाल करके लोगों को ठग रहे हैं। इस मामले में आगे की कार्रवाई चल रही है।