236 वकीलों की प्रैक्टिस पर रोक! झुंझुनूं में राजस्थान बार काउंसिल के फैसले से मचा हंगामा, जानिए क्या है इसकी वजह ?

झुंझनु न्यूज़ डेस्क - राजस्थान बार काउंसिल ने जिले के 236 अधिवक्ताओं की प्रैक्टिस पर रोक लगा दी है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है, क्योंकि ये अधिवक्ता तय समय सीमा में ऑल इंडिया बार परीक्षा (एआईबीई) पास नहीं कर पाए। इस फैसले के बाद अधिवक्ताओं, खासकर जो सालों से वकालत कर रहे थे, में हड़कंप मच गया है।
इसलिए दी गई सजा
झुंझुनू बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष पूनिया ने बताया कि राजस्थान बार काउंसिल की ओर से भेजी गई सूची में उन अधिवक्ताओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है, जिन्होंने एलएलबी करने के दो साल के भीतर एआईबीई परीक्षा पास नहीं की।
ई-मेल भेजकर परामर्श मांगा
सुभाष पूनिया ने बताया कि इनमें से ज्यादातर वे अधिवक्ता हैं, जिन्होंने 2024 या 2025 में रजिस्ट्रेशन करवाया था, जिनकी परीक्षा अभी तक नहीं हुई है। इस संबंध में बार काउंसिल ऑफ राजस्थान को ई-मेल भेजकर परामर्श मांगा गया है।
न्यायालय परिसर में सूची चस्पा की गई
बार काउंसिल के इस निर्णय के तहत झुंझुनू न्यायालय परिसर में डिबार किए गए अधिवक्ताओं की सूची चस्पा कर दी गई है। सूची में प्रत्येक अधिवक्ता का नाम, नामांकन संख्या तथा एलएलबी उत्तीर्ण करने का वर्ष अंकित है।
कई वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता भी प्रभावित
इस निर्णय का असर उन अधिवक्ताओं पर भी पड़ा है जो पिछले 10-15 वर्षों से प्रैक्टिस कर रहे थे। इनमें से कई अधिवक्ता झुंझुनू बार एसोसिएशन के चुनाव में भी भाग ले चुके हैं तथा कुछ बार कार्यकारिणी के सदस्य भी रह चुके हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नए नियमों के अनुसार 1 जुलाई 2010 के बाद एलएलबी करने वाले सभी अधिवक्ताओं को अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण के दो वर्ष के भीतर एआईबीई परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। जो अधिवक्ता इस परीक्षा में असफल होंगे, उनका पंजीकरण स्वतः ही निरस्त हो जाएगा तथा वे न्यायालय में प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। जिले में करीब 439 अधिवक्ता पंजीकृत हैं।
अधिवक्ताओं में असमंजस
निषेध किए गए अधिवक्ताओं को दोबारा AIBE परीक्षा देकर अपनी योग्यता साबित करनी होगी। हालांकि, कई अधिवक्ता इस फैसले से असंतुष्ट नजर आ रहे हैं और इसे गलत बता रहे हैं। कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना है कि बार काउंसिल को उन अधिवक्ताओं को विशेष छूट देनी चाहिए जो लंबे समय से वकालत कर रहे हैं और अब अचानक इस नियम की चपेट में आ गए हैं।