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राजस्थान का एक ऐसा मंदिर जिसका आधा भाग राजस्थान और आधा हरियाणा में, उल्टे उकेरे गए है गीता के 18 अध्याय, वजह जान उड़ जाएंगे होश

 
राजस्थान का एक ऐसा मंदिर जिसका आधा भाग राजस्थान और आधा हरियाणा में, उल्टे उकेरे गए है गीता के 18 अध्याय, वजह जान उड़ जाएंगे होश 

झुंझुनू न्यूज़ डेस्क - आज हम आपको एक ऐसे मंदिर से रूबरू करवाएंगे जिसका आगे का हिस्सा राजस्थान में और पीछे का हिस्सा हरियाणा में फैला हुआ है। यह मंदिर झुंझुनू जिले के टीबा बसई गांव में है। इस मंदिर का पीछे का हिस्सा हरियाणा के ब्राह्मणवास गांव में बना हुआ है। यही वजह है कि मंदिर में हरियाणा और राजस्थान दोनों ही जगहों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। राजस्थान-हरियाणा सीमा के अंतिम छोर पर स्थित टीबा बसई गांव में दूधभागा नदी के किनारे बना रामेश्वरदास धाम देश के अनूठे मंदिरों में से एक है। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि कला और स्थापत्य कला की दृष्टि से भी अनूठा स्थान है। यहां सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां एक साथ स्थापित की गई हैं।

इसमें मां अन्नपूर्णा, नव दुर्गा, लक्ष्मी, गणेश, शिव, हनुमान समेत सैकड़ों देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। खास बात यह है कि मंदिर में कोई नकद दान नहीं लिया जाता, यहां आने वाले हर श्रद्धालु को मिश्री और पेड़ों का प्रसाद दिया जाता है। मंदिर की दीवारों पर हजारों तैल चित्र बने हुए हैं, जिनमें देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों, महात्माओं, शक्तिपीठों और नवदुर्गाओं के चित्र अंकित हैं। मंदिर की स्थापना रामेश्वरदास महाराज ने की थी। यह धाम बाबा रामेश्वरदास की तपस्थली रही है। इसके संचालन के लिए 1976 में एक ट्रस्ट का गठन किया गया था। रामेश्वरदास धाम के संपूर्ण मंदिर, मूर्तियों और भित्ति चित्रों, कांच पर गीता और रामायण के लेखन का निर्माण कार्य कारीगर गजानंद कुमावत खेतड़ी वाले के निर्देशन में किया गया था।

बजरंग बली की 41 फीट ऊंची प्रतिमा
रामेश्वरदास धाम के मुख्य द्वार के सामने बजरंग बली की 41 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा है। शिव मंदिर में पत्थर से बना 10 फीट का शिवलिंग है, जो खेतड़ी उपखंड में स्थित शिव मंदिरों में सबसे बड़ा है। रामेश्वरदास धाम में हाथी और नंदी की प्रतिमा की ऊंचाई करीब 21 फीट है।

रामनवमी पर लगता है मेला
मंदिर के पुजारी लक्ष्मण शास्त्री ने बताया कि यहां हर साल रामनवमी पर मेला लगता है। मार्गशीर्ष बदी अष्टमी पर बाबा रामेश्वर दास की पुण्यतिथि मनाई जाती है। मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

गीता के 18 अध्याय उल्टे शब्दों में उकेरे गए हैं
मंदिर के गीता भवन में शीशे पर श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्याय उल्टे शब्दों में उकेरे गए हैं, जो बाहर से सीधे दिखाई देते हैं। इस कलाकृति को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।