Jhunjhunu प्रदूषण के कारण बढ़े अस्थमा के मरीज, छह माह में 8500

झुंझुनू न्यूज़ डेस्क, झुंझुनू अंचल में सर्दी के साथ-साथ बढ़ता प्रदूषण काला दमा रोगियों में इजाफा कर रहा है। चार सौ एक्यूआई के करीब पहुचा प्रदूषण का स्तर काला दमा (सीओपीडी) के मरीजों के लिए सर्दियों में चार महीने में बेहद खतरनाक साबित होने वाला है। सरकारी अस्पतालों में इलाज ले रहे 7736 मरीजों से यह आंकड़ा बढ़कर साढ़े आठ हजार पर पहुंच गया। चिकित्सकों के अनुसार उक्त बीमारी से पीड़ित अधिकतर मरीज पूरे साल कम परेशानी के रहते हैं। लेकिन सर्दियों के चार महीने नवंबर, दिसंबर, जनवरी और फरवरी में मरीजों की जान सांसत में आ जाती है। जिले में कुछ समय से प्रदूषण और सर्दी की वजह से अस्थमा अटैक और सांस फूलने के मामले ओपीडी में बढ़ गए हैं। चिकित्सकों के अनुसार काला दमा को सीओपीडी कहा जाता है और सीओपीडी एक क्रॉनिक फेफड़ों की बीमारी है। इसमें सांस की नलियों का सिकुडऩा, उनमें सूजन आना और लगातार सूजन बढ़ता रहता है। इससे आगे चलकर फेफड़े कमजोर हो जाते हैं। इसे एम्फायसेमा कहते हैं। यह बीमारी सांस में रुकवाट से शुरू होती है और धीरे-धीरे सांस लेने में मुश्किल होने लगती है।
ये लक्षण हों तो जांच कराएं
-तेजी से सांस लेना
-बलगम के साथ खांसी आना
-छाती में इंफेक्शन होना
-सीने में जकड़न
-लगातार कोल्ड, फ्लू रहना
-कमजोरी रहना
फ्लू का टीका जरूर लगवाएं
सीओपीडी के मरीजों को फ्लू का टीका लगवाना जरूरी है ताकि वे इस फ्लू से बच सकें। टीका लगवाने से मरीज के भर्ती होने की नौबत कम आती है। बिना चिकित्सक की सलाह के बीच में दवा न छोड़ें। जब अस्थमा अटैक आता तो मरीज दवा लेते हैं। परंतु जब ठीक होने पर इनहेलर बीच में छोड़ देते हैं।