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Jhalawar तेंदू पत्ता बना रोजगार का जरिया, पैसा कमा रहे ग्रामीण

 
Jhalawar तेंदू पत्ता बना रोजगार का जरिया, पैसा कमा रहे ग्रामीण

झालावाड़ न्यूज़ डेस्क, जिले में इन दिनों तेंदूपत्ता तोड़ने का काम ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों के लिए आर्थिक रूप से वरदान साबित हो रहा है। गर्मियों में ग्रामीणों को गांव के पास के ही जंगल में यह कार्य मिल रहा है। वहीं, राज्य सरकार को इससे 4 करोड़ 23 लाख का राजस्व प्राप्त हुआ है।ग्रामीण क्षेत्र में यूं तो रोजगार के लिए नाम मात्र के ही साधन होते हैं, लेकिन तेंदूपत्ता तुड़ाई से अच्छी खासी मजदूरी मिल जाती है। ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को घर बैठे मजदूर भी मिल रही है। सुबह-सुबह सिर पर गठरी  रखकर जंगल से लौटते बड़ी संख्या में लोग दिख जाते हैं। इनमें युवा, बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। ये नजारा आजकल जिले भर में दिखाई दे रहा है, क्योंकि तेंदू पत्तों की तुड़ाई का दौर जारी है। ये ग्रामीण मजदूर सुबह 5 बजे ही घर से निकल जाते हैं। जंगल में 2 से 3 घंटे तक पत्तों को तोड़ा जाता है और गठरी बनाकर इनको सिर पर रखकर लाया जाता है। घर पर इनको इकठ्ठा कर गड्डी बनाई जाती है।

गड्डियों को बांधकर इकठ्ठा कर खेतों में ठेकेदार को बेच दिया जाता है। इससे किसानों और मजदूरों को रोज 200 से 300 रुपए तक इनकम हो जाती है। एक परिवार में जितने भी लोग होते हैं वो सब मिलकर 400 से ज्यादा गड्डियां बना लेते हैं। परिवार में जितने ज्यादा लोग होते हैं उतनी कमाई होती है। अगर परिवार में घर मे 4 लोग होते हैं तो 1 हजार रुपए की कमाई हो जाती है। गर्मी में किसानों के पास फसल कटाई के बाद कोई कार्य नहीं रहता है। ऐसे में डेढ़ महीने तक तेंदू पत्ते की तुड़ाई का दौर होता है, जिसमे ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों की अच्छी खासी कमाई हो जाती है।

40 पत्तों की बनाई जाती है गड्डियां
झालावाड़ जिले में जंगलों में तेंदू पत्ते भरपूर मात्रा में मौजूद है। मजदूर जंगलों में जाकर तेंदू पत्ते इकठ्ठा करके घर ले आते हैं, जहां इनकी 40 पत्तों की गड्डियां बनाई जाती है। 100 गड्डियों पर मजदूरी 130 रुपए मिलती है। दिनभर एक मजदूर 200 से 300 गड्डियां बना लेते हैं, जिनसे 250 रुपए से 400 रुपए की कमाई कर लेते हैं। इसके बाद ठेकेदार को बेच देते हैं। ठेकेदार इनको खेत में सूखा देता है। जब तेंदू पत्ते सुख जाते हैं तब इनको बोरे में भरा जाता है। इसके बाद यहां बीड़ी बनाने वाले ठेकेदार आते हैं और इनकी खरीदकर ले जाते हैं।

हर साल दिया जाता है ठेका
जंगलों से तेंदू पत्ता तोड़ने का हर साल सरकार की ओर से ठेका दिया जाता है। इस बार 4 करोड़ 23 लाख का राजस्व सरकार को मिला है। झालावाड़ जिले में 45 यूनिट लगी हैं, जहां तेंदू पत्ते को इकठ्ठा किया जा रहा है। यह तेंदूपत्ता बीड़ी बनाने के काम आता है, जो टोंक या अन्य जिलों में जाता है। जहां तेंदूपत्ता से बीड़ी बनाई जाती है। झालावाड़ का तेंदूपत्ता को क्वालिटी काफी अच्छा मानी जाती है।