Jhalawar संतरे को लगी नजर, किसानों ने काट दिए बगीचे
झालावाड़ न्यूज़ डेस्क, देश में नागपुर के बाद अगर संतरे की खेती में अपना वर्चस्व रखता है वो है झालावाड़ जिला। यहां के संतरें की मिठास के लोग कायल हैं। देश ही नहीं वरन विदेशों में भी झालावाड़ का संतरा पसंद किया जाता है लेकिन अब संतरे की खेती से किसानों का मोह भंग होने लगा है। जिन खेतों में पेड़ों पर संतरे लदे रहते थे वहां ठूंठ ही नजर आ रहे हैं। किसानों ने बड़ी संया में बगीचों पर कुल्हाड़ी चला दी है। हालांकि पूरे जिले के हालात एक जैसे नहीं माने जा सकते लेकिन बड़े इलाके में लोग संतरे की खेती से दूरी बनाने लगे हैं। असनावर क्षेत्र के जूनाखेड़ा व अन्य गांवों में किसानों ने हजारों पेड़ों पर कुल्हाड़ी चला दी है। किसानों का कहना है कि यह खेती अब घाटे का सौदा साबित हो रही है। ऐसे में बड़े-बड़े बगीचों को कटवाना शुरू कर दिया है।
पहचान न खो दे
जिले के असनावर, अकलेरा, भवानी मंडी एवं झालरापाटन के आसपास का क्षेत्र खास तौर पर बड़ी मात्रा में संतरे का उत्पादन करता आया है लेकिन अब इस पूरे इलाके में संतरे के बगीचे सफेद हाथी साबित हो रहे हैं और मजबूरी में किसान इनको नष्ट कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यही हालात रहे तो आने वाले समय में झालावाड़ का संतरा अपनी पहचान खो देगा।
नहीं हो रहा उत्पादन
अपने बगीचे कटवा देने वाले किसान बताते हैं कि लगभग पिछले 10 वर्षों से संतरे का उत्पादन नहीं हो रहा है। अगर होता भी है तो इतना सा होता है कि उनके खर्च भी नहीं निकाल पाते तथा बगीचे लगे होने के कारण उनकी जमीन पड़त रह जाती है, उस पर दूसरी खेती भी नहीं कर पाते। ऐसे में अब किसान इन बगीचों को कटवा रहे हैं।
काली मस्सी रोग
किसान बताते हैं कि संतरे के बगीचों में काली मस्सी नामक रोग जबरदस्त तरीके से फैल रहा है, इसका स्थायी निदान नहीं हो पता, वहीं कुछ किसान थर्मल पावर परियोजना से उड़ने वाली राख एवं मौसम के बदलाव को भी संतरा उत्पादन नहीं होने का कारण बताते हैं। असनावर क्षेत्र के किसान बलराम पाटीदार ने बताया कि उनका 65 बीघा जमीन पर संतरे का बगीचा था जिसको अब उन्होंने कटवा दिया है तथा मात्र 8 बीघा का बगीचा शेष रहा है। जानकार बताते हैं कि झालावाड़ जिले में जो संतरा पैदा होता है वह कई विशेषताओं से भरपूर है। यहां के संतरे का स्वाद सबसे अच्छा होता है , वहीं छिल्का पतला होता है और आकार में बड़ा होता है। यहां के संतरे में जूस की मात्रा भी भरपूर होती है, इसी के चलते यह संतरा जूस उत्पादक कंपनियों की पहली पसंद बना हुआ है।
