Jhalawar नवरात्रि में मां नैना देवी के दर्शन को आते हैं भक्त, नौ दिनों होती पूजा
झालावाड़ न्यूज़ डेस्क, झालावाड़ देशभर में गुरुवार को शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। इस दौरान घट स्थापना कर 9 दिनों तक मां शक्ति स्वरूपा नव दुर्गा के 9 रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी व सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रतिमा के सामने डंडिया-गरबा नृत्य के साथ-साथ मां की नौ दिन तक भक्ति, आराधना व उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि शक्ति ही विश्व की सृजनकर्त्ता है।
शहर में माताजी व बालाजी के मंदिरों के साथ-साथ कई घरों में होती है घट स्थापना
शहर झालावाड़ में स्थित माँ दुर्गा स्वरूपा मंदिरों मां श्री नानादेवी माता, चामुण्डा माता, कालका माता, कैलादेवी, मंगलेश्वरी देवी, बस स्टेण्ड परिसर में विराजित माताजी इत्यादि मंदिरों पर घटस्थापना होती है। इसके अलावा शहर में स्थित बालाजी के मंदिरों पर व मां दुर्गा में आस्था रखने वालों के घरों पर घट स्थापना की जाती है। इस अवसर पर मंदिरों पर विद्युत सजावट होगी, बड़े-बड़े पंडाल सजाए जाकर गरबा-डाण्डियों के साथ-साथ प्रश्नोत्तरी व बच्चों के खेलकूद जैसे कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। नवरात्रा के प्रथम दिवस से अन्तिम दिवस तक शहर के स्त्री, पुरूष व बच्चे बढ़-चढ़कर भाग लेते है।
प्राकृतिक सौन्दर्य के मध्य विराजित है मां श्री नानादेवी माताजी
मन्दिर से जुड़े लक्ष्मीकान्त पहाड़िया ने बताया कि श्री सूर्यवंशी कुमरावत (तम्बोली) समाज की कुल देवी मां नानादेवी माता गांवड़ी के तालाब के किनारे प्राकृतिक सौन्दर्य के मध्य में विराजमान हैं। यहां आने वाले सभी श्रद्धालु व आगन्तुकों ने केवल मात्र मां के दर्शन करने से उनके सभी प्रकार के कष्ट व दुःख दूर हो जाते है तथा सभी को अपने आंचल की छांव में रखकर उनकी सभी मुरादे पूरी करती हैं। मां के दरबार में पहुंचते ही आत्म शान्ति का अनुभव होता है और ऐसा महसूस होता है कि हम स्वर्ग में आ गये हो। एक बार दर्शन करने से आपका मन बारम्बार मां के दर्शन करने के लिए लालायित हो उठता है, बड़ी संख्या में यहां दर्शनार्थी आते रहते हैं।
मां श्री नानादेवी मातादी के साथ-साथ और कई थानक है
मां श्री नानादेवी मातादी के साथ केसर बाई विराजित है, तथा दूसरी तरफ मां झूमा देवी, नाग कन्या व गणेश जी तथा चौक में चौसठ योगिनी, संतोषी माता, मां कंकाली, झुण्ड भैरू, मां चामुण्डा, कालाजी, सगस जी, गणेशजी, बजरंग बली व शिवपार्वती परिवार मां नानादेवी मन्दिर परिसर में विराजित है। ऐसा माना जाता है कि यह मन्दिर झालावाड़ के राज्य कालीन स्थलों के समय का है। नवरात्रा के समय में मां श्री नानादेवी मातादी के दर्शन का लाभ लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु एवं दर्शनार्थी आते है। मां से अपनी मनोकामना करते है वह पूर्ण होने पर भक्तजन अपनी मन्नत भी पूरी करते है। मां श्री नानादेवी सभी की मनोकामना पूर्ण करती है, इसी कारण दूर-दूर से यात्री उनकी एक झलक पाने के लिए दौड़ा चला आता है और मां का आशीर्वाद पाकर व मां छवि को अपने हृदय में बसा कर आत्म विभोर होकर जाता है।