Jhalawar भगवान सत्यनारायण की कथा में ग्रामीणों के लिए 28 क्विंटल 80 किलो आटे से बनी रोटियां
झालावाड़ न्यूज़ डेस्क, झालावाड़ बकानी क्षेत्र के कमलपुरा गांव में 400 लोगों ने 28.80 क्विंटल आटा, 400 किलो दाल, 450 किलो गुड़, 200 किलो घी और 4 हजार से अधिक कंडे का इस्तेमाल कर 10 हजार लोगों का भोजन तैयार किया। पंचायती रसोई में पूरे गांव की भागीदारी वास्तव में एक अलग ही उदाहरण देती है। यहां प्रतिवर्ष सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन होता है। इसके तहत सामूहिक भोजन की परंपरा है।
60 गांव के लोग हुए शामिल
आयोजन से जुड़े टोडरमल लोधा ने बताया कि यह परंपरा 50 साल से चली आ रही है। क्षेत्र में 60 गांव के करीब 7 हजार लोग इस आयोजन में शामिल हुए और भोजन किया। इस आयोजन में लोधा समाज के अलावा अन्य समाज के लोग भी भोजन के लिए आमंत्रित किए गए थे।
बहन-बेटियों को भी दिया जाता है निमंत्रण
टोडरमल लोधा ने बताया कि इस आयोजन में जिन बहन-बेटियों की शादी दूसरे गांवों में हुई है, उन्हें और उनके परिवार को निमंत्रण दिया जाता है। बड़े स्तर पर सभी को सामूहिक भोज करवाया जाता है।
हर घर से लेते हैं सामग्री
टोडरमल लोधा ने बताया कि इस अनूठे आयोजन के लिए सबसे पहले एक टीम तैयार की जाती है। जो आसपास के गांवों में समाज के प्रत्येक घरों में जाकर प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से आटा, दाल, कंडे और पैसे इक्कठे करती है। इसमें एक परिवार से 3 किलो आटा, 6 कंडे और प्रति व्यक्ति 400 ग्राम दाल ली जाती है।
4 हजार कंडों पर बनाई जाती है बाटी
आयोजन से जुड़े टोडरमल लोधा ने बताया कि यहां पर बाटी बनाने के लिए 4000 कंडों का उपयोग किया जाता है। बाटियों को सेकने के बाद को कंडे की राख में गाड़ दिया जाता है और ऊपर से काली मिट्टी से इस तरह दबा दिया जाता है, जिससे हवा अंदर न जाए क्योंकि अंदर हवा जाने से बाटियां खराब हो जाती हैं।
400 व्यक्ति सेकते हैं बाटी
टोडरमल ने बताया कि बाटियां बनाने के लिए 12 खाट का उपयोग किया जाता है। घर-घर में जहां भी खाट होती है, वहां से मंगा ली जाती है। इसके बाद जब बाटियों को सेंका जाता है, तो तीन गांव के लोग बाटियों को सेंकने आते हैं। करीब 400 व्यक्ति इन बाटियों को सेंकते हैं।
हजारों लोगों का भोजन बनाने के लिए चार ग्रुप अलग-अलग बनाए जाते हैं। इसमें करीब 27 से 32 घरों को एक ग्रुप में बांट दिया जाता है। एक ग्रुप में करीब 27 से लेकर 35 लोगों की संख्या होती है। यह ग्रुप एक ही स्थान पर अलग-अलग काम में जुटकर भोजन तैयार करते हैं।
60 गांव के लोग करते हैं प्रसादी ग्रहण
टोडरमल ने बताया कि सत्यनारायण भगवान की कथा के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है। दोपहर बाद भंडारे का आयोजन किया गया, जो देर रात तक चला। 60 गांव के व्यक्तियों ने प्रसादी ग्रहण की।
भगवान राम और हनुमान जी बदलते हैं कपड़े
आयोजन से जुड़े टोडरमल लोधा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष यह आयोजन होता है। मंदिर को सजाया गया है। रात को भजन कीर्तन के बाद रविवार को पंडित जी कथा का वाचन करते हैं। इस मौके पर गांव में स्थित मंदिर में भगवान राम और हनुमान जी की मूर्ति के कपड़े बदले जाते हैं और विशेष श्रृंगार किया जाता है।