Jhalawar बच्चों से लेकर बूढ़ों तक बड़ी संख्या में लोग गलसुआ से प्रभावित
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झालावाड़ न्यूज़ डेस्क, राजकीय आयुर्वेद औषधालय में इन दिनों गलसुआ के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। रविवार को आयुर्वेद अस्पताल में पांच साल के बच्चे से लेकर बड़े भी बड़ी संख्या में पहुंचे। वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. रिंकेश कुमार यादवेंद्र और वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामकेश मीणा ने गुलसुआ का उपचार किया व उसके होने के बारे में समझाया। डॉ. यादवेन्द्र ने बताया कि यह एक प्रकार का वायरल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से लाल ग्रंथियां को प्रभावित करता है, इन्हें पेरोटीड ग्रंथियां भी कहते हैं, जो मुंह के तीनों तरफ होती है।
ये लक्षण
इसमें लार ग्रंथियां में सूजन मुख्य रूप से होती है, गलसुआ शुरू होने के बाद 14 से 18 दिन तक रहता है रोग की अवधि 7 से 10 दिन रहती है। गलसुआ में आमतौर पर जबड़े के दोनों तरफ सूजन दर्द और छुने पर दर्द का एहसास होता है।यह दिमाग और दिमाग को ढकने वाले उत्तक और अग्नाशय को भी प्रभावित करता है दिमाग के प्रभावित होने पर मेनिनजाइटिस,वृषण को प्रभावित करने पर एनसेफ्लीइटिस,अग्नाशय को प्रभावित करने पर प्रैन्कियारीस हो जाता है। सिरदर्द, उल्टी होना, गर्दन में अकडऩ,दिमाग में सूजन,नींद नहीं आना, पेट दर्द आदि इसके लक्षण है।
ये दवाई दी जाती है
आधुनिक चिकित्सा में गलसुआ में दर्द निवारक और सूजन को कम करने वाली दवाइयां दी जाती है और टीका लगाया जाता है।आयुर्वेद चिकित्सा में बेचैनी कम करने के लिए बच्चों को तरल आहार दें और वह खाद्य पदार्थ नहीं दे जिन्हें ज्यादा चबा कर खाना पड़े अंडकोष पर सूजन आने पर पलंग पर ही आराम करें, ज्यादातर बिना किसी समस्या के ठीक हो जाते हैं।