Jhalawar में 50 हजार के गंगानगरी गुलाब से किसान कमा रहे लाखों का मुनाफा, सीजन में होती है 10 गुना ज्यादा कमाई
झालावाड़ न्यूज़ डेस्क - धार्मिक नगरी झालावाड़ में एक किसान ने गंगानगरी किस्म के गुलाब की खेती कर अपनी किस्मत बदल दी है। आस्था का बड़ा केंद्र होने के कारण यहां फूलों की मांग रहती है। ऐसे में गुलाब की मांग बनी हुई है। शहर से 5 किमी दूर मानपुर गांव के किसान शंकरलाल ने एक बीघा में गंगानगरी गुलाब की खेती की। अन्य फसलों की तुलना में उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ। अब सालाना आमदनी लाखों में है। पहले कोटा से गुलाब झालावाड़ लाए जाते थे। अब मांग स्थानीय फूलों से पूरी होती है। किसान ने बताया कि उन्होंने कभी खेती पर 50 हजार रुपए प्रति बीघा निवेश किया था। त्योहारों और खास मौकों पर गुलाब की मांग 10 गुना तक बढ़ जाती है, जिससे सीजन में मुनाफा भी 10 गुना तक पहुंच जाता है।
उनके खेत के फूल बाजार में खूब बिक रहे हैं
शंकरलाल के पास खेती के लिए जमीन कम है। ऐसे में उन्हें फसलों से अच्छा मुनाफा नहीं मिल रहा था। अब वे रोजाना 30 किलो गुलाब का उत्पादन कर रहे हैं और उनके खेत से निकले फूल तुरंत बाजार में बिक जाते हैं। एडवांस में भी मांग रहती है। किसान ने बताया- मेरे एक रिश्तेदार ने मुझे फूलों की खेती करने के लिए प्रेरित किया। वे बूंदी के तालेड़ा कस्बे में फूलों की खेती करते हैं। उन्होंने मुझे गंगानगरी किस्म के फूल उगाने की सलाह दी।
गुलाब की मांग 10 गुना बढ़ गई
शंकरलाल ने बताया- होली-दिवाली और सभी त्योहारों पर यहां गुलाब की मांग और मुनाफा 10 गुना बढ़ जाता है। मैंने खेती पर 50 हजार रुपए प्रति बीघा लगाया था। यह खर्च एक बार हुआ। अब सालाना आमदनी लाखों में है। परिवार के सभी सदस्य खेती में हाथ बंटाते हैं। रोज सुबह फूल तोड़े जाते हैं। इसके बाद फूलों के बंडल बनाकर बाजार में भेजे जाते हैं। फूलों की माला और फूल विक्रेता उन्हें खरीद लेते हैं।
पहले मुनाफा नहीं होता था
शंकरलाल ने बताया- मैंने 15 साल पहले भी गुलाब की खेती की थी। लेकिन फिर मुनाफा कम होने के कारण यह काम बंद हो गया। कोटा व अन्य शहरों से आने वाले अच्छी किस्म के गुलाब के सामने स्थानीय किस्म के गुलाब टिक नहीं पाए। इस तरह बेहतर किस्म के गुलाब उगने लगे। त्योहारों पर गुलाब पहले ही बिक जाते हैं। दाम भी अच्छे मिलते हैं। रिसेप्शन, मंदिर-दरगाह, शादी-ब्याह व आयुर्वेदिक औषधियों में गुलाब का उपयोग होता है। इसलिए मांग बनी रहती है।
8 माह में बदलते हैं पौधे
किसान शंकरलाल ने बताया- एक गुलाब की झाड़ी करीब आठ माह तक फूल देती है। इसके बाद या तो उत्पादन कम हो जाता है या पौधा रोग का शिकार हो जाता है। ऐसी स्थिति में पौधे को हटाकर उसकी जगह दूसरा पौधा लगा दिया जाता है।इस तरह रोटेशन में काम चलता रहता है। गंगानगरी गुलाब लगाने के एक माह बाद ही फूल देने लगता है। यह गुलाब की स्थानीय किस्म है लेकिन इसकी गुणवत्ता अच्छी है।मंदिर-मजारों व धार्मिक आयोजनों में इस फूल की मांग रहती है। स्थानीय बाजार में मांग के कारण किसान भी इस खेती में रुचि लेने लगे हैं।
शहर के मंदिरों में रोजाना 100 किलो फूलों की खपत
किसान शंकरलाल ने बताया- गुलाब की सबसे ज्यादा मांग मंदिरों से आती है। यहां सभी मंदिरों में औसतन रोजाना 100 किलो फूलों की मांग होती है।इन फूलों का इस्तेमाल देवी-देवताओं के श्रृंगार में किया जाता है। बड़े मंदिरों के बाहर फूल और मालाएं बिकती हैं।पश्चिमी राजस्थान का मारवाड़-गोड़वाड़ इलाका। दूर-दूर तक नजर दौड़ाएं तो चारों तरफ छोटी-छोटी पहाड़ियां और बंजर जमीन नजर आएगी। इसी हिस्से में पाली से सटे इलाके बाली में राकेश राज ठकराल की 4 बीघा जमीन है...जवाई तेंदुआ संरक्षण क्षेत्र।
