झालावाड़ न्यूज़ डेस्क, झालावाड़ में मानव सेवा समिति ने पहल करते हुए धनतेरस के मौके पर गरीब और जरूरतमंद करीब 1100 बच्चों को रेडीमेट कपड़े का निशुल्क वितरण किया। इस दौरान पीठाधीश्वर श्री झंकारेश्वर दास त्यागी महाराज ने दीप प्रज्वलन कर कपड़ा वितरण कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया।मानव सेवा समिति अध्यक्ष शैलेंद्र यादव ने बताया कि दीपावली दीपों का त्योहार है और इस त्योहार पर हर चेहरे पर मुस्कान होती है, लेकिन कहीं ऐसे गरीब निर्धन परिवार भी हैं। जिनको पहनने के लिए अच्छे कपड़े नसीब नहीं होते हैं। ऐसे में उनके घर में दीपावली की खुशियां भी फीकी रहती है। उन्होंने बताया कि निर्धन बच्चों में खुशियां बांटने के लिए रेडीमेड कपड़ों का वितरण कार्यक्रम मंगलवार को खंडिया चौराहा आयुष्मान अस्पताल के पीछे स्थित कार्यालय पर किया। इस दौरान शहर में मानव सेवा समिति की ओर से संचालित निशुल्क कोचिंग कर रहे बच्चे और अभावग्रस्त बस्तियों लुहारिया समाज, गौ सेवकों के बच्चे, आईटीआई के पीछे कच्ची बस्ती, कचरा बीनने वाले बच्चे, मजदूरों के बच्चे, रेगर मोहल्ला, बसेड़ा मोहल्ला, हरिजन बस्ती, धनवाड़ा बस्ती, संजय कॉलोनी गांवघेर, खंडिया कॉलोनी, कालबेलिया बस्ती के 3 वर्ष से 15 वर्ष तक के 1100 बच्चों को अपने हाथों से नए रेडीमेड कपड़ों का वितरण किया। नए कपड़े पाकर बच्चों के चेहरे भी खिल उठे।
एक दिन पहले दिया था सभी को निमंत्रण
यादव ने बताया कि निशुल्क नए रेडीमेड वस्त्र वितरण कार्यक्रम में बच्चों के लिए नए कपड़े प्राप्त करने के लिए एक दिन पूर्व निर्धन बस्तियों में सम्पर्क करके उन्हें निमंत्रित दिया गया था। इस दौरान बच्चों के माता-पिता उन्हें लेकर पहुंचे और कपड़े प्राप्त किए। इस दौरान वितरण कार्यक्रम में कपड़ा वितरण कार्यक्रम में प्रेम दाधीच, शुभेन्द्र सिंह हाड़ा, गामा भाई पहलवान, शुभम पारेता, नरेन्द्रसिंह राजावत, सुनील मीणा, जय गौतम, श्रीलाल गौतम, गजेन्द्र सेन, लोकेश शर्मा, नितिन भाटिया, ललित गुर्जर, बहादुर सिंह, वरुण झाला मौजूद रहे।
कपड़े पाकर दोगुना हुई बच्चों की खुशियां
शहर के कालबेलिया बस्ती की रहने वाली 10 साल की बालिका मीना की मां ने बताया कि प्रतिदिन खनन इलाके में मजदूरी करती है। ऐसे में आर्थिक स्थिति कमजोर होने पर दीपावली पर यह मदद सराहनीय है। वहीं नई जेल रोड की 14 साल की मंजू ने बताया कि वह पढ़ाई कर रही है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है। पिता बाहर रहकर मजदूरी करते हैं, कपड़े मिलने पर उसकी खुशी दोगुनी हो गई है।