Aapka Rajasthan

Jhalawar शहरों से पक्षियों की चहचहाहट हुई गायब

 
Jhalawar शहरों से पक्षियों की चहचहाहट हुई गायब

झालावाड़ न्यूज़ डेस्क, शहरी क्षेत्रों में सुबह के समय पक्षियों की चहचहाहट अब गायब हो गई है। अब न तो अटरिया रही और न ही मुंडेर बचे। ऐसे में पक्षियों का कलरव अब बीते जमाने की बात हो गई। वाहनों के शोर के साथ अब भोर का पता चलता है। घर की मुंडेर पर फुदकने वाले पक्षी भी घटते जा रहे हैं। खुले आकाश में उडऩे वाले पक्षियों के झुण्ड भी बहुत कम हो गए है।पक्षियों की कलरव के साक्षी रहे वट वृक्षों और जलाशयों के अस्तित्व को मनुष्य ने अपने स्वार्थ की खातिर मिटा दिया। जिधर देखो, उधर चारदीवारी के सिवा कुछ नहीं दिखाई देता।

व्यापारी गोविन्द मेड़तवाल के अनुसार पहले कृषि मंडी में मक्का की बिकवाली ज्यादा होती था, तब मंडी में मक्का खाने के लिए खूब पक्षी आते थे। पिछले एक दशक में मक्का की पैदावार घटी है। मंडी में मक्का कम आने के कारण यहां पक्षी भी कम नजर आने लगे है। अभी मंडी व्यापारियों के सहयोग से नगर में कबूतरखाना संचालित हो रहा है।

कीटनाशक के उपयोग बढ़ा

खेतों में फसलों में हाई पावर के कीटनाशकों का उपयोग बढ़ा है। खेतों में कीटनाशक छिड़कने के बाद पक्षी इन फसलों में लगे कीट और पतंगों को खाने जाता है तो इसके असर से पक्षियों की मौत हो जाती है। इसकी वजह से पर्यावरण पर भी असर पड़ रहा है।

विलुप्त होने लगे

जानकारों का कहना है कि पुराने आंगन वाले घर खत्म होते जा रहे है। घरों के आसपास खाली मैदान नहीं बचे है। तालाबों का अस्तित्व खत्म हो गया है। मोबाइल टावर बढ़ गए है। शहरी क्षेत्र में पुरखों की पुरानी जमीन और खेत अब कॉलोनियों में तब्दील हो गए हैं। इन सभी कारणों से शहरों से पक्षियों की संया लगातार घट रही है।