पर्यावरण स्वीकृति के बाद राजस्थान के इस जिले में शुरू होगी थर्मल प्लांट की तीसरी यूनिट, बनेगी इतने हजार मेगावाट बिजली

झालावाड़ न्यूज़ डेस्क - कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की तीसरी 800 मेगावाट की अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल इकाई करीब छह माह से पर्यावरणीय स्वीकृति का इंतजार कर रही है। पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए 24 सितंबर को बैठक हुई थी। इस बैठक का एजेंडा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में चला गया है, लेकिन वहां अभी तक फाइल क्लीयर नहीं हो पाई है। इसके चलते तीसरी इकाई के निर्माण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है। दरअसल, कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की तीसरी इकाई को कांग्रेस सरकार ने मंजूरी दी थी। इसके बाद भाजपा सरकार ने इसे यहां स्थापित करने के लिए कंपनियों से एमओयू भी किया है।
इसके तहत पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए इसकी पहली प्रक्रिया बैठक छह माह पहले आयोजित हो चुकी है, लेकिन अभी तक पर्यावरणीय स्वीकृति की प्रक्रिया को मंजूरी नहीं मिल पाई है। पर्यावरणीय स्वीकृति बैठक में कई सुझाव और आपत्तियां मांगी गई थी। तीसरी इकाई लगने के बाद झालावाड़ जिला ऊर्जा हब के रूप में उभरेगा। प्रदेश के अन्य जिलों को भी यहां से बिजली मिल सकेगी। कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की तीसरी अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल इकाई के लिए 6100 करोड़ रुपए का बजट होगा। यह अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल तकनीक सबसे उन्नत तकनीक है, जो वर्तमान में प्रचलित सुपर क्रिटिकल तकनीक से 5 प्रतिशत बेहतर है। इससे कम कोयले की खपत कर अधिक बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा।
इस इकाई को वर्तमान में चल रही दो इकाइयों की तुलना में कम कोयले की आवश्यकता होगी। इससे कोयले पर अधिक खर्च भी नहीं आएगा। इस इकाई के लगने के बाद झालावाड़ जिले में 2 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा। कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट में तीसरी अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल इकाई के निर्माण में सिर्फ निर्माण कार्य का खर्च आएगा, यहां जमीन पहले से ही उपलब्ध है। थर्मल परिसर में 2300 बीघा जमीन है। जिसके कुछ हिस्से में तीसरी इकाई का निर्माण किया जा सकता है। थर्मल के लिए कालीसिंध बांध में 1900 एमसीएफटी पानी उपलब्ध है, अभी 1200 का ही उपयोग हो रहा है, शेष पानी बचत में है। इस पानी का उपयोग भी इस तीसरी इकाई के लिए किया जाएगा।
अभी रेल परिवहन की सुविधा है। कुछ समय बाद भोपाल लाइन से जुड़ने के बाद कोटा-बीना-गुना होते हुए सफर करीब 100 किमी कम हो जाएगा। इससे कोयला परिवहन का खर्च कम होगा। समय की बचत होगी। फिलहाल 10 लाख क्यूबिक मीटर का वाटर पॉण्ड बनाया गया है, जो तीसरी यूनिट के लिए भी पर्याप्त है। 11 केवी का एक और पंप लगाया जाना है, जिससे थर्मल प्लांट में आसानी से पानी आ सकेगा।कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की तीसरी यूनिट के लिए पर्यावरण संबंधी मंजूरी उच्च स्तर से आएगी। यह मंजूरी अभी नहीं आई है।