संसद में गूंजा कडाना बांध का मुद्दा, सांसद लुम्बाराम चौधरी ने राजस्थान-गुजरात की संयुक्त बैठक की मांग की

जालोर न्यूज़ डेस्क - जालोर-सिरोही सांसद लुम्बाराम चौधरी ने बुधवार को लोकसभा में माही व कडाना बांध का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि राजस्थान व गुजरात सरकार के बीच माही जल बंटवारा समझौते में कडाना बांध का निर्माण किया गया था। इसके अनुसार जालोर-सिरोही का जल हक दिया जाना चाहिए। चौधरी ने कहा कि जालोर-सिरोही में कम बारिश के कारण भूजल स्तर काफी गिर गया है, जिसके कारण दोनों जिले डार्क जोन घोषित हो चुके हैं। 1 सितम्बर 1965 की खोसला कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात व राजस्थान की सीमा पर कडाना बांध बनाने का प्रस्ताव था।
उस समय 1 अक्टूबर 1966 को राजस्थान व गुजरात सरकार के बीच माही जल बंटवारा समझौते में कडाना बांध का निर्माण किया गया था। समझौते के अनुसार जब तक नर्मदा का पानी नहीं आता, तब तक गुजरात के खेड़ा जिले को कडाना बांध से पानी मिलेगा। अब जबकि गुजरात के खेड़ा जिले को नर्मदा का पानी मिल रहा है, तो स्वतः ही; समझौते के अनुसार कडाणा व माही बांध का 2/3 पानी राजस्थान के सिरोही जालोर को आवंटित किया गया था। समझौते के अनुसार सिरोही जालोर को पानी मिलना था, लेकिन नहीं मिला। कडाणा बांध का पानी ओवरफ्लो होकर सुजलाम नहर के माध्यम से समुद्र में जा रहा है।
1.30 लाख एमसीएम पानी समुद्र में बहकर बर्बाद
वापकोस कंपनी ने सर्वे कराया, जिसमें बताया गया कि 37 साल में 27 बार ओवरफ्लो होने से 1.30 लाख एमसीएम पानी समुद्र में बहकर बर्बाद हो गया। सांसद चौधरी ने सरकार से अनुरोध किया कि राजस्थान सरकार व गुजरात सरकार की संयुक्त बैठक बुलाकर डीपीआर तैयार कर समुद्र में जाने वाले पानी के लिए कार्य स्वीकृत किया जाए। जवाई नदी सुमेरपुर, शिवगंज, आहोर, जालोर, सायला होते हुए बाड़मेर जाती है। इस नदी के किनारे बसे सभी गांव पीने व सिंचाई के लिए पानी का उपयोग करते हैं।
जवाई बांध बनने के बाद से जवाई नदी में बहाव कम होने से भूजल स्तर गिर रहा है। कई वर्ष पहले अच्छी वर्षा होने के कारण सहायक नदियों से पानी आता था। पिछले कई वर्षों से कम वर्षा होने के कारण नदी में पानी नहीं आया है, जिसके कारण नदी के किनारे के कुएं सूख गए हैं तथा बोरवेल 600 से 800 फीट नीचे चले गए हैं। नीचे से खारा पानी आने के कारण भूमि दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। इसके कारण किसानों व आमजन की मांग है कि जवाई बांध के पानी का एक हिस्सा जवाई नदी के लिए निर्धारित कर जवाई नदी में डालकर जवाई नदी को पुनर्जीवित किया जाए।