Jalore इस बार नवरात्र पर डोली पर माता दुर्गा का होगा आगमन
शारदीय नवरात्रि का धार्मिक महत्व
अखिल ब्रह्माण्ड-नायिका शारदा-पूजा हिन्दुओं की अति प्राचीन पूजा है। भारत वर्ष के शीर्ष प्रदेश काश्मीर का मूल नाम शारदा देश था। शरद् ऋतु के आदि में जिनकी उपासना प्रधान रूप से होती है, वे शारदा कहलाती है। शक्ति-संगम ग्रंथ के अनुसार नवरात्र नव शक्तियों से संयुक्त है, एक-एक तिथि में एक-एक शक्ति के पूजन का विधान है। महाकाल संहिता के अनुसार प्रत्येक युग में प्रत्येक मास के नवरात्रि की महिमा रही है। कलियुग में आश्विन शुक्ल पक्ष की नवरात्रि पूजा प्रमुख है। ऋग्वेद का वागाभृणीय नामक पुरा का पुरा सूक्त महाशक्ति तत्व का प्रतिपादक है जिसकी विशद व्याया मार्कण्डेय पुराण, देवी भागवत और शक्ति ग्रंथों में अंकित है।
शारदीय नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व
3 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इस समय भगवती की आराधना के नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। व्रत का शाब्दिक अर्थ प्रण या संकल्प है नवरात्रि में हम सभी उपवास रखने का व्रत लेते है परन्तु इसके पीछे का वैज्ञानिक आधार भी है। जर्नल ऑफ क्लीनिकल इन्वेस्टीगेशन में आई एक रिसर्च के मुताबिक उपवास सही रूप से किया जाए तो यह ब्लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल में रखता है, क्योंकि उपवास रखने से शरीर में ह्यूमन ग्रोथ हॉर्मोन नामक केमिकल रिलीज होता है जिससे शरीर की मसल्स ग्रोथ करती है।