Jalore शिक्षक की वर्दी में शिक्षक ने किया फर्जीवाड़ा, सूची से हटाया नाम
जालोर न्यूज़ डेस्क, जालोर शिक्षा जैसे समानजनक पेशे को इसी पेशे से जुड़े एक शिक्षक ने राज्य स्तरीय शिक्षक समान हासिल करने के लिए फर्जीवाड़ा कर शर्मशार किया। मामला राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जालमपुरा (सायला) का है। यहां कार्यरत शिक्षक विक्रमसिंह पर फर्जी सूची तैयार कर दानदाताओं के सहयोग से विद्यालय विकास का उल्लेख किया गया था। वहीं आवेदन प्रक्रिया में भी मनमर्जी की गई। व्यक्तिगत जानकारी में दानदाताओं के सहयोग की दो सूचियां भी भेजी गई। जिसमें गड़बड़ी का आरोप है। पहली सूची वर्ष 2022 के दानदाताओं की है, जिसमें कुल 12 दानदाताओं का जिक्र है। इस सूची के अनुसार दानदाताओं को प्रेरित कर 3 लाख 33 हजार रुपए का सहयोग विद्यालय विकास में करने का उल्लेख किया गया। इसी तरह वर्ष 2023 में 16 दानदाताओं द्वारा 4 लाख 54 हजार के सहयोग का जिक्र है। राज्य स्तरीय शिक्षक समान में इस शिक्षक को सूची में शामिल करने का यह भी आधार था। जब ग्रामीणों को इस संबंध में जानकारी मिली तो उन्होंने विरोध किया। मामले में विभागीय स्तर से लेकर मुयालय स्तर तक शिकायत हुई और प्रारंभिक स्तर पर शिकायत सही पाई गई। उप निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने मामले में आदेश जारी कर समान कार्यक्रम से आरोपी शिक्षक का नाम हटाने के निर्देश जारी किए। इधर, जिला शिक्षा अधिकारी ने नोटिस जारी किया है।
जांच में तीन आरोप, जवाब पेश करने के निर्देश
जिला शिक्षा अधिकारी ने प्राप्त शिकायत के आधार पर शिक्षक को नोटिस जारी करते हुए 15 दिन के भीतर प्रस्तुत होकर लिखित में पक्ष रखने को निर्देशित किया है। जारी पत्र में 3 आरोपियों का जिक्र है।
- शिक्षक विक्रमसिंह पर राज्य स्तरीय शिक्षक समान 2024 के अनुमोदित चयन सूची में दानदाताओं के फर्जी हस्ताक्षर कर राज्य स्तरीय समानित होने के लिए दानदाताओं की राशि गलत लिखी गई और फर्जीवाड़ा कर समान सूची में नाम समिलित करने के लिए आवेदन किया गया। प्रधानाचार्य जालमपुरा ने 4 सितंबर को पत्र लिखकर अवगत करवाया कि विद्यालय विकास में सहयोग राशि के प्रेरित केवल शिक्षक विक्रमसिंह ने नहीं किया बल्कि पूरे विद्यालय स्टाफ ने भी सहभागिता निभाई।
- शिक्षक विक्रमसिंह ने राज्य स्तरीय समान समारोह 2024 के लिए आवेदन बना प्रधानाचार्य के ध्यान में लाए बिना ही लॉनलाइन सबमिट कर दिया।
- अध्यापक के द्वारा दानदाता के सहयोग से संबंधित आवेदन पत्र के हिस्से को प्रधानाचार्य के द्वारा प्रमाणीकरण नहीं करवाया। आरोप है कि फर्जी हस्ताक्षर कर दस्तावेज आवेदन पत्र में समिलित किए गए।