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Jalore एसओजी-एटीएस जांच में मिले 493 वाहनों के इंजन व चेसिस नंबर फर्जी

 
Jalore एसओजी-एटीएस जांच में मिले 493 वाहनों के इंजन व चेसिस नंबर फर्जी
जालोर न्यूज़ डेस्क, जालोर और भीनमाल डीटीओ कार्यालय के अंतर्गत 493 बस, ट्रक व अन्य वाहनों का रजिस्टे्रशन हुआ, लेकिन ये वाहन ऐसे है। जिनके इंजन और चेसिस नंबर संबंधित कंपनी के रिकॉर्ड में नहीं है। पूर्वांचल में उग्रवादी गतिविधियों में जालोर जिले के अंतर्गत जालोर-भीनमाल के परिवहन विभाग में रजिस्टर्ड वाहनों की उपस्थिति के बाद मामला जांच के दायरे में आया है। इस गंभीर मामले में मामला एटीएस और एसओजी जांच कर रही है। प्रारंभिक स्तर पर जांच में ही बड़े स्तर सुरक्षा में सेंधमारी के साथ बड़े स्तर पर गड़बड़ी सामने आई है।जालोर-भीनमाल परिवहन विभाग के अंतर्गत 493 संदिग्ध वाहन है, जिसके संबंध में स्वामित्व वाले लोगों से संबंधित वाहनों के संबंध में डिटेल में जानकारी मांगी गई है। बता दें फर्जी रजिस्टर्ड इन वाहनों में से ज्यादातर का रजिस्टे्रशन वर्ष 2020 से 22 के बीच ही हुआ है। ऐसे में तत्कालीन स्टाफ पर भी जांच का दायरा बढ़ाया जा सकता है।

भीनमाल में 490 संदिग्ध रजिस्टे्रशन

मुख्यालय से मिले निर्देश के बाद भीनमाल परिवहन विभाग भी जागा है। इस संबंध में 490 वाहन स्वामियों को नोटिस जारी किया गया है। बता दें ये सभी आरजे-46 कोड से रजिस्टर्ड वाहन है। साथ ही इनमें बसों की संख्या अधिक हैआतंकवाद निरोधक दस्ता कार्यालय अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस एटीएस एंड एसओजी जयपुर की ओर से इस संवेदनशील मामले में 22 अगस्त 2024 को जांच के संबंध में महत्वपूर्ण उल्लेख किया। बताया कि एसओजी जयपुर के अनुसंधान में ये इन 493 वाहनों के चैसिस नंबर एवं इंजन नंबर के आधार पर वाहन का निर्माण, निर्माता कंपनी द्वारा नहीं किया गया है। वहीं इन सभी वाहनों के चैसिस एवं इंजन नंबर फर्जी है।

सवाल-कितने वाहन और दौड़ रहे

जांच में प्रारंभिक स्तर पर फर्जीवाड़े के इस खेल में 493 वाहनों की जानकारी मिली है। दूसरा पक्ष यह है कि जालोर-भीनमाल और सांचौर में इस तरह के फर्जीवाड़े का यह आंकड़ा इससे कई अधिक बड़ा हो सकता है। मामले में अहम पक्ष यह भी है कि ये फर्जी वाहन जिले के परिवहन कार्यालय में रजिस्टर्ड कैसे हुए। इस संबंध में भी गहन जांच जरुरी है।

बड़ा रैकेट, गहन जांच जरुरी

एटीएस की प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया है कि गिरोह से जुड़े शातिर बदमाश चोरी या फाईनेंसशुदा वाहनों के इंजन नंबर और चेसिस नंबर बदलकर नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के परिवहन कार्यालयों में फर्जी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर बनवा रहे हैं। इसके बाद उन वाहनों को फर्जी आरसी के जरिए दूसरे राज्यों में ट्रांसफर किया जाता है। ऐसे में जब जांच की गई तो इन वाहनों का वाहन निर्माता कंपनी के पास भी कोई रिकॉर्ड नहीं मिला।मुख्यालय से हमें सूची मिली थी, जिसके आधार पर हमनें संबंधित वाहन के स्वामियों से जानकारी मांगी है। इन्हें 5 अक्टूबर तक जवाब पेश करने के लिए कहा गया है। जो सूची मिली थी उसके अनुसार जालोर जिले के भी तीन वाहन शामिल है। ये तीनों ट्रक है। इस संबंध में नोटिस जारी किया गया है। जानकारी मांगी गई है।