Jalore 3 साल से अटका था आहोर एनएच-325 बाइपास, अब बनेगी डीपीआर
जालोर न्यूज़ डेस्क, जालोर आहोर में करीब 3 साल से अटके पड़े नेशनल हाइवे बाइपास प्रोजेक्ट के लिए महत्वपूर्ण स्वीकृति मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे नई दिल्ली की ओर जारी की गई है। जारी स्वीकृति के अनुसार बाइपास के लिए डीपीआर बनेगी। इस प्रोजेक्ट के लिए वार्षिक प्लान 2023-24 में यह स्वीकृति जारी की गई है। साथ ही प्रोजेक्ट को गति प्रदान के लिए पहले चरण में इसके लिए डीपीआर बनाने के लिए 25 लाख रुपए भी जारी किए गए हैं। 25 सितंबर 2023 को मुख्यालय नई दिल्ली से इस संबंध में मुख्य अभियंता (एनएच पीपीपी) पीडल्यूडी को निर्देश जारी किए गए हैं। बता दें आहोर में करीब तीन साल पूर्व नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट के पैकेज-4 के तहत ही बाइपास के लिए स्वीकृति जारी की गई थी, लेकिन किन्हीं कारणों से उस समय सर्वे के बाद बाइपास का काम ठंडे बस्ते में चला गया था। अब प्रोजेक्ट का रास्ता साफ हो गया है। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व माधोपुरा से आहोर पेट्रोल पंप तक फ्लाइओवर निर्माण की स्वीकृति मिली थी, लेकिन स्थानीय व्यापारियों ने विरोध जताया था। तर्क था कि शहरी क्षेत्र में फ्लाइओवर बनने पर व्यापार प्रभावित होगा। धरना प्रदर्शन भी हुए और राजनेताओं ने इस संबंध में सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडक़री से दिल्ली में मुलाकात कर इस प्रोजेक्ट को निरस्त कर पुराने प्रोजेक्ट के तहत सर्वे के अनुसार बाइपास बनाने की मांग की थी।
बाइपास के लिए ये तर्क पेश किए गए थे
आहोर उपखंड मुख्यालय होने के साथ आबादी 35 हजार के करीब है।
आहोर आबादी क्षेत्र में सडक़ की चौड़ाई करीब 70 फीट ही है, जो एनएच के लिहाज से ठीक नहीं।
हाइवे या राष्ट्रीय राजमार्ग 325 में सडक़ 100 फीट प्रस्तावित है। ऐसे में शहरी क्षेत्र की सडक़ नियमों के अंतर्गत नहीं
मुख्य मार्ग के दोनों ही किनारों पर राजकीय कार्यालय, सरकारी विद्यालय
आबादी क्षेत्र में भीड़भाड़ रहने पर यातायात व्यवस्था भी बिगडऩे की संभावना
पहले हुआ था सर्वे
आहोर में बाइपास के लिए करीब 3 साल पूर्व सर्वे हुआ था। इस सर्वे के अनुसार बाइपास जोधपुर से 500 मीटर आगे से होकर चरली से पहले करीब 7 किमी का बाइपास प्रस्तावित था। यह स्वीकृति प्रोजेक्ट की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) के लिए जारी की गई है। डीपीआर बनाने के दौरान बाइपास के लिए मार्ग तय किया जाएगा। रूट तय होने के साथ पूरी रिपोर्ट और प्रोजेक्ट की अनुमानित कोस्ट तय कर रिपोर्ट मुख्यालय को सबमिट की जाएगी। विभिन्न स्तर पर प्रोजेक्ट की क्वेरी होने के बाद मोर्थ की ओर से इस प्रोजेक्ट के लिए वित्तीय स्वीकृति जारी की जाएगी। मामले में खास बात यह है कि पूर्व में विभागीय स्तर पर सर्वे किया जा चुका है। अब विभाग पूर्व के सर्वे को आधार बनाकर ही रिपोर्ट बनाएगा या नए रूट का सर्वे करेगा। यह आगामी कुछ दिनों में तय हो जाएगा। अभी वाहनों की आवाजाही आहोर के आबादी क्षेत्र से होती है। दोपहर और शाम को ट्रेफिक अधिक रहता है और भीड़ भाड़ से खासी दिक्कत होती है। बाइपास बनने के बाद आहोर क्षेत्र की यातायात व्यवस्था में सुधार होगा। वहीं भविष्य में आहोर को ट्रेफिक रिलिफ भी मिलेगा।
