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Jalore जोधपुर-भीलड़ी 304 किमी रूट में रानीवाड़ा पर तैयार हो रहा नया स्ट्रक्चर

 
Jalore जोधपुर-भीलड़ी 304 किमी रूट में रानीवाड़ा पर तैयार हो रहा नया स्ट्रक्चर
जालोर न्यूज़ डेस्क, जालोर  लंबे रूट पर समदड़ी-भीलड़ी रेल खंड से चलने वाली यात्री गाडिय़ों के लिए अब रानीवाड़ा रेलवे स्टेशन अहम साबित होने वाला है। इस स्टेशन पर भविष्य में कोच के टैंक में पानी भरने की व्यवस्था उपलब्ध हो सकेगी।जोधपुर से भीलड़ी के बीच यह एक मात्र वॉटरिंग प्वाइंट होगा। अक्सर लंबी दूरी की टे्रनों में पानी के टैंक खाली हो जाने पर यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।इस समस्या के स्थायी समाधान की कड़ी में रेलवे ने यह अहम कदम उठाया है। जिसके बाद जरुरत के अनुसार कोच में पानी भरा जा सकेगा। बता दें रेलवे प्रशासन की ओर से स्वीकृति जारी करने के बाद वॉटरिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए रानीवाड़ा में काम भी शुरु किया जा चुका है।

मीटर गेज में थी व्यवस्था

मीटर गेज रेल लाइन के दौरान समदड़ी-भीलड़ी रेल खंड में मोदरान महत्वपूर्ण स्टेशन था। उस समय टे्रनों का इस स्टेशन पर हॉल्ट का समय अधिक था। उस समय तक पानी की उपलब्धता भी खूब थी। टै्रन के कोच में पानी रिफिल करने का सिस्टम यहां स्थापित था, लेकिन बाद में पानी की उपलब्धता में धीरे धीरे आई कमी के बाद इसे बंद कर दिया गया था।

रानीवाड़ा क्षेत्र में हालात ठीक

इस क्षेत्र में पानी की उपलब्धता जालोर जिले की तुलना में ठीक है। वर्तमान में रेलवे का ट्यूबवैल है, जिसमें पर्याप्त पानी उपलब्ध है। वहीं भविष्य में नर्मदा परियोजना की पूरी तरह से क्रियान्विति होने के बाद हालात और बेहतर होंगे। इन सभी स्थितियों को देखते हुए रेलवे ने यह कवायद शुरु की। जिसके तहत जोधपुर मंडल को कोच वॉटरिंग का रानीवाड़ा एक अतिरिक्त विकल्प मिल जाएगा। बता दें जिले में वॉटर लेवल बेहतर नहीं है और पानी की कमी प्रमुख समस्या है। ऐसे में रेलवे की ओर से इस अहम शुरुआत से स्थायी वॉटर सोर्सेज से पानी की लगातार उपलब्धता पर भी ध्यान देना जरुरी होगा।

इसलिए भी अहम है रानीवाड़ा स्टेशन

समदड़ी-भीलड़ी रेल खंड में रानीवाड़ा राजस्थान का अंतिम बड़ा रेलवे स्टेशन है। यह विधानसभा मुख्यालय भी है। अक्सर यहां टे्रनों का स्टॉपेज भी ज्यादा होता है। कई मौकों पर गुजरात राज्य में एंट्री से पहले टे्रनों को रानीवाड़ा या गुजरात राज्य के धनेरा स्टेशन पर रोका जाता है। रानीवाड़ा में टे्रनों के स्टॉपेज के अतिरिक्त समय का भी रेलवे में सदुपयोग वॉटरिंग प्रक्रिया में हो सकेगा।

क्या है क्विक वाटरिंग सिस्टम?

क्विक वाटरिंग सिस्टम (त्वरित जल प्रणाली) में 4 सेंट्रीफ्यूगल पंपों का सेट होता है। जिनमें से प्रत्येक में 3 पंप चालू रहते हैं। जबकि एक अतिरिक्त पंप संभावित खराबी के दौरान उपयोग करने के लिए स्टैंडबाय मोड पर रहता है। यह प्रक्रिया पहले की प्रक्रिया की तुलना में काफी एडवांस है। 24 कोच की लंबी यात्री गाड़ी के सभी कोच की वॉटरिंग इस प्रक्रिया से मात्र 10 मिनट में हो जाती है। जिससे समय की बचत होती है।समदड़ी-भीलड़ी रेल खंड में रानीवाड़ा में रेल कोच में वॉटरिंग के लिए काम चल रहा है। यह काम पूरा होने के बाद कोच को पानी से रिफिल करने का यह बेहतर विकल्प होगा।